Delhi News: कांग्रेस के माथे से आपातकाल का कलंक कभी नहीं मिटेगा- पीएम मोदी

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Delhi News: कांग्रेस के माथे से आपातकाल का कलंक कभी नहीं मिटेगा- पीएम मोदी
Published : Dec 14, 2024, 9:05 pm IST
Updated : Dec 14, 2024, 9:05 pm IST
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The stigma of emergency will never be erased from the face of Congress, PM Modi news in hindi
The stigma of emergency will never be erased from the face of Congress, PM Modi news in hindi

उनकी सरकार की नीतियों और फैसलों का उद्देश्य संविधान के अनुसार भारत की ताकत और एकता को बढ़ावा देना था 

Delhi News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को लोकसभा में आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि विपक्ष पार्टी के माथे पर लगे कलंक को कभी नहीं मिटा पाएगा। प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने 'खून का स्वाद चखने' के बाद बार-बार संविधान को चोट पहुंचाई जबकि 2014 में सत्ता संभालने के बाद उनकी सरकार की नीतियों और फैसलों का उद्देश्य संविधान के अनुसार भारत की ताकत और एकता को बढ़ावा देना था 

उन्होंने भारतीय संविधान की 75 साल की यात्रा को 'असाधारण' बताया और विपक्ष खासकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 55 साल के दौरान देश पर 'एक परिवार' ने राज किया, जिसने तार-तार करके देश का संविधान बनाया है आपातकाल, अदालत का 'स्तम्भ' कुत्ता और संसद का 'गला' काम आया। सदन में 'संविधान के 75 वर्षों की गौरवपूर्ण यात्रा' पर हुई बहस का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने नेहरू-गांधी परिवार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इस परिवार ने हर स्तर पर संविधान को चुनौती दी है। 

उन्होंने आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा, ''दुनिया में जब भी लोकतंत्र की चर्चा होती है तो कांग्रेस के माथे से यह कलंक कभी नहीं मिटेगा क्योंकि लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया था।'' भारतीय संविधान के निर्माताओं की तपस्या को धूल में मिलाने का प्रयास किया गया।''
मोदी ने नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा, ''इस परिवार ने संविधान को हर स्तर पर चुनौती दी। मैं इस परिवार की बात इसलिए भी कर रहा हूं क्योंकि 75 साल के इस सफर में 55 साल तक एक ही परिवार ने राज किया है, इसलिए देश को ये जानने का हक है कि क्या हुआ।

उन्होंने कहा कि पहले पंडित जवाहरलाल नेहरू का अपना संविधान चलता था और इसीलिए वे अपने समय के वरिष्ठ गणमान्य लोगों की सलाह भी नहीं सुनते थे। मोदी ने कहा कि नेहरू ने एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर संविधान हमारे रास्ते में आता है तो इसे बदल दें। मोदी ने कहा, 'लगभग 6 दशकों में 75 बार संविधान बदला गया, जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री ने बोया था उसे खाद-पानी दूसरे प्रधानमंत्री ने दिया, उनका नाम था श्रीमती इंदिरा गांधी।'

उन्होंने कहा कि 1971 में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया था, उस फैसले को भी संविधान में बदलाव करके और 'हमारे देश की अदालत के पंख काटकर' पलट दिया गया था। प्रधानमंत्री ने दावा किया कि यह किसी से छिपा नहीं है कि नेहरू-गांधी परिवार की वर्तमान पीढ़ी भी संविधान का कितना सम्मान करती है। उन्होंने कहा, ''कांग्रेस के एक युवा नेता ने केंद्र सरकार की कैबिनेट द्वारा स्वीकृत फैसले को प्रेस के सामने फाड़ दिया। इससे पता चलता है कि यह परिवार संविधान का कितना सम्मान करता है।”

मोदी ने कहा, ''कांग्रेस के मुंह में ऐसा खून सवार था कि वह समय-समय पर संविधान की तलाश करती रही और संविधान की आत्मा का खून करती रही।'' मोदी ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि संविधान विविधता का संदेश देता है एकता लेकिन आजादी के बाद एकता की मूल भावना पर हमला किया गया। उन्होंने कहा, ''मैं बड़े दुख के साथ कहना चाहता हूं कि संविधान निर्माताओं के मन में एकता की भावना थी, लेकिन आजादी के बाद देश की एकता की मूल भावना पर हमला किया गया और लोगों को गुलामी की मानसिकता में लाया गया।'' विविधता में एकता।" विरोधाभासी चीजों की तलाश करने के बजाय।''

उन्होंने कहा, 'हमारी सरकार के फैसले भारत की एकता को मजबूत करने के लिए लिए गए हैं। अनुच्छेद 370 एकता में बाधा थी और इसीलिए हमने इसे जमीन में गाड़ दिया।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का लोकतांत्रिक अतीत दुनिया के लिए प्रेरणा है और इसलिए देश को लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा, ''जब हम संविधान के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, तो यह अच्छा संयोग है कि हमारे पास राष्ट्रपति पद पर एक महिला हैं जो संविधान की भावना के अनुरूप हैं।'' मोदी ने कहा कि भारत जल्द ही ऐसा करेगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में बहुत मजबूत कदम और 140 करोड़ देशवासियों का संकल्प है आजादी के शताब्दी वर्ष तक विकसित भारत बनाना।     

देशवासियों को दिये गये 11 संकल्प

अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को 11 संकल्प देते हुए कहा, ''पहला संकल्प है कि नागरिक हो या सरकार, हर कोई अपने कर्तव्यों का पालन करेगा, दूसरा संकल्प है कि हर क्षेत्र, हर समाज को विकास का लाभ सबका साथ-साथ विकास हो, तीसरा भ्रष्टाचार के प्रति कोई सहिष्णुता न हो, भ्रष्टाचारियों की कोई सामाजिक स्वीकृति न हो, चौथा देश के नागरिकों को कानून, नियम और परंपराओं का पालन करने पर गर्व हो। देश को पांचवीं गुलामी की मानसिकता से आजादी। देश की विरासत पर गर्व करें, छठा, देश की राजनीति को परिवारवाद से मुक्त किया जाए, सातवां, संविधान पर गर्व करें, संविधान को राजनीतिक लाभ के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, आठवां, देश की भावना के प्रति समर्पण रखें। संविधान, जिन लोगों को आरक्षण मिल रहा है, उसे छीना नहीं जाना चाहिए और धर्म के आधार पर आरक्षण की हर कोशिश को रोका जाना चाहिए, नौवां भारत महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास में दुनिया के लिए एक उदाहरण बनना चाहिए, दसवां विकास के साथ देश का विकास होना चाहिए कहते हैं, यही हमारे विकास का मंत्र होना चाहिए। और ग्यारहवाँ है भारत, सर्वोपरि श्रेष्ठ भारत का देश।  

प्रधानमंत्री के भाषण में आरोप-प्रत्यारोप के अलावा कुछ नहीं था: कांग्रेस

कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि लोकसभा में संविधान पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कुछ भी नया नहीं कहा और केवल कुछ विपक्षी दलों पर आरोप लगाए। पार्टी संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने संसद में पत्रकारों से यह भी कहा कि कांग्रेस ने सदन में कहा है कि पूरी सरकार अडानी समूह के लिए चल रही है। उन्होंने कहा, ''प्रधानमंत्री के भाषण में कुछ भी नया नहीं है। आरोप कांग्रेस पर ही लगे हैं। हमने कल और आज व्यक्त किया है कि सरकार अडानी के लिए चल रही है। आरएसएस के रूप में और यह भी पता चला है कि हिंदू महासभा ने पहले दिन से ही संविधान का विरोध किया था।''
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के भाषण के दौरान न तो प्रधानमंत्री और न ही गृह मंत्री मौजूद थे। उन्होंने कहा, ''या ​​तो वे राहुल गांधी का सामना करने से डरते थे या उन्हें विपक्ष पर भरोसा नहीं है।''

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