सतर्कता निदेशालय ने अपनी अपील में उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के अंतरिम आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया था।
New Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के छह अधिकारियों को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास के पुनर्निर्माण में नियमों के कथित रूप से ‘‘घोर उल्लंघन’’ के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) का रुख करने की बृहस्पतिवार को छूट दी।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय और विशेष सचिव (सतर्कता) की उस अपील का निस्तारण कर दिया जिसमें कारण बताओ नोटिस को चुनौती देने वाले पीडब्ल्यूडी के छह अधिकारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने संबंधी एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी।
दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 15 सितंबर को निर्देश दिया था कि मुख्यमंत्री केजरीवाल के आधिकारिक आवास के पुनर्निर्माण में नियमों के कथित रूप से गंभीर उल्लंघन के सिलसिले में सतर्कता निदेशालय द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती देने वाले पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के खिलाफ 12 अक्टूबर तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया जाए।
सतर्कता निदेशालय ने अपनी अपील में उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के अंतरिम आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया था।
एकल न्यायाधीश ने शहर के अधिकारियों के संयम बरतने में विफल रहने और उनके वकील द्वारा दिए गये हलफनामे के बावजूद उल्लंघनकारी कदम उठाने पर गंभीर आपत्ति जताते हुए अंतरिम आदेश पारित किया था कि अधिकारियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया जायेगा। वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा और दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने एकल न्यायाधीश के समक्ष हलफनामा दिया था।
सतर्कता निदेशालय ने हालांकि अधिवक्ता योगिंदर हांडू और मनंजय मिश्रा के जरिये दायर अपनी अपील में दलील दी कि आश्वासन सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना दिया गया था।
सतर्कता निदेशालय ने केजरीवाल के आधिकारिक आवास के पुनर्निर्माण में नियमों के कथित उल्लंघन पर पीडब्ल्यूडी के छह अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। संबंधित मुख्य अभियंताओं और पीडब्ल्यूडी के अन्य अधिकारियों को जारी किये गये नोटिस में उनसे अपने कार्यों की व्याख्या करने को कहा गया था।
उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने पीडब्ल्यूडी के छह अधिकारियों की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया था जिसमें 19 जून को उन्हें जारी किये गये कारण बताओ नोटिस को रद्द करने का अनुरोध किया गया था।.
वरिष्ठ वकील मोहित माथुर के जरिये दाखिल याचिका में कहा गया कि नोटिस ‘‘दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली में सत्तारूढ़ दल के बीच एक राजनीतिक खींचतान का नतीजा था’’ जिसमें याचिकाकर्ताओं को ‘‘बलि का बकरा’’ बनाया गया।
पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने अपनी याचिका में कहा कि उन्होंने किसी भी नियम या कानून का उल्लंघन नहीं किया और मुख्यमंत्री के आधिकारिक बंगले में सभी कार्य नियमों का पूरी तरह से पालन करते हुए किए गए थे।