मामले में 86 लोगों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज़ है, 18 की मौत हो चुकी है, अब 68 आरोपी बचे हैं।
अहमदाबाद: गुजरात की एक विशेष अदालत 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान नरोदा गाम में मुस्लिम समुदाय के 11 सदस्यों की हत्या के मामले में बृहस्पतिवार को फैसला सुना सकती है। इस मामले के आरोपियों में भाजपा की पूर्व विधायक माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी भी शामिल हैं। मामले में कुल 86 आरोपी थे, लेकिन उनमें से 18 लोगों की सुनवाई के दौरान मौत हो गई। विशेष अदालत के न्यायाधीश एस.के. बक्शी मामले में 20 अप्रैल को यानी आज फैसला सुना सकते हैं।
गोधरा में ट्रेन आगजनी की घटना में अयोध्या से लौट रहे 58 यात्रियों की मौत के एक दिन बाद 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोदा गाम इलाके में दंगों के दौरान कम से कम 11 लोग मारे गए थे। नरोदा ग्राम मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चल रहा है। अभियोजन पक्ष ने इस मामले में 187 जबकि बचाव पक्ष ने 57 गवाहों का परीक्षण किया। जुलाई 2009 में शुरू हुए इस मुकदमे में करीब 14 साल बाद अब फैसला आने जा रहा है।
इस मामले में एक स्टिंग ऑपरेशन से बजरंग दल के बाबूभाई पटेल उर्फ बाबू बजरंगी का नाम सामने आया था। बजरंगी बाद में VHP और शिवसेना में शामिल हो गया था।
मामले में 86 लोगों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज़ है, 18 की मौत हो चुकी है, अब 68 आरोपी बचे हैं। गुजरात की पूर्व मंत्री और BJP नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी पर भी मुकदमा चल रहा है। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी सितंबर 2017 में कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे।