पीड़ितों ने नरोदा गाम फैसले को न्यायपालिका की ‘हत्या’ करार दिया

खबरे |

खबरे |

पीड़ितों ने नरोदा गाम फैसले को न्यायपालिका की ‘हत्या’ करार दिया
Published : Apr 21, 2023, 6:36 pm IST
Updated : Apr 21, 2023, 6:36 pm IST
SHARE ARTICLE
Victims term Naroda Gam verdict as 'murder' of judiciary
Victims term Naroda Gam verdict as 'murder' of judiciary

उन्होंने दावा किया कि इस मामले में सभी 67 अभियुक्तों के बरी होने का मतलब है कि “न्यायपालिका दबाव में है”।

अहमदाबाद : नरोदा गाम मामले के 67 आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले को पीड़ितों ने न्यायपालिका की “हत्या” करार दिया और कहा कि इससे दंगाइयों के हौसले और बुलंद होंगे। नरोदा गाम दंगों के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी। कुछ पीड़ितों ने दावा किया कि उनकी आंखों के सामने जिंदगी छीन ली गई।

एक विशेष अदालत ने बृहस्पतिवार को यहां गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी, बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी समेत मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में आग लगाए जाने के बाद राज्यभर में दंगे भड़क गए थे। इसी दौरान नरोदा गाम में 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले की जांच उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने की थी।

भीड़ द्वारा किए गए हमले में घायल शरीफ मालेक ने दावा किया कि “न्यायपालिका दबाव में प्रतीत होती है” और ऐसा निर्णय केवल दंगाइयों को प्रोत्साहित करेगा। दंगाइयों की भीड़ ने उनके घर को भी लूट लिया था।

इम्तियाज कुरैशी ने कहा कि उनके घर को लूट लिया गया और लोगों के एक समूह ने उनकी आंखों के सामने तीन लोगों की हत्या कर दी। उन्होंने दावा किया कि बृहस्पतिवार के फैसले से पता चलता है कि “न्यायपालिका दबाव में है”।

अदीब पठान के घर को हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने लूट लिया था। पठान ने कहा, “अगर कानून की रक्षा करने वालों को कानून की हत्या करने पर मजबूर किया जाएगा तो यह देश को विनाश की ओर ले जाएगा। इस तरह, लोग लोकतंत्र में विश्वास खो देंगे।”.

अहमदाबाद में नरोदा गाम के उस हिस्से में अब एक भयानक सन्नाटा पसरा हुआ है जहां अल्पसंख्यक समुदाय के 11 सदस्य मारे गए थे, अधिकांश घर बंद हैं और उनकी दीवारों पर कालिख पुती है जो उस विनाशकारी दिन की याद दिलाती है जब उन्हें (घरों को) आग लगा दी गई थी। मालेक ने कहा, “मैं अपने पड़ोस के एक घर में एक महिला और उसके दो बच्चों सहित परिवार के तीन सदस्यों को जिंदा जलाए जाने का गवाह था। अधिकांश घर बंद हैं और दंगों से पहले वहां रहने वाले लगभग 110 परिवारों में से मुश्किल से 10-15 परिवार अब रह रहे हैं।”.

उन्होंने दावा किया, “यह न्यायपालिका की हत्या है। अगर इस तरह का फैसला सुनाया जाता है तो इससे दंगाइयों को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्हें अब कानून का भय नहीं रहेगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि न्यायपालिका राजनीतिक दबाव में है। न्यायपालिका राजनीतिक नियंत्रण में है, खासकर गुजरात में।”

मालेक ने कहा कि अगर “ऐसा कोई दबाव नहीं होता और न्यायाधीश ने निष्पक्ष रूप से फैसला सुनाया होता” तो कम से कम 25-30 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा दी जाती।

नरोदा गाम में छपाई का कारोबार करने वाले कुरैशी ने कहा, “मेरी आंखों के सामने एक शादीशुदा दंपति और उनकी बेटी को जिंदा जला दिया गया। अपने परिवार के छह सदस्यों को जलाने वाली लुटेरों की भीड़ से बच निकली एक महिला को भी मेरी आंखों के सामने चाकू मार दिया गया।”

उन्होंने दावा किया कि इस मामले में सभी 67 अभियुक्तों के बरी होने का मतलब है कि “न्यायपालिका दबाव में है”।

एक दिन पहले गोधरा स्टेशन के पास भीड़ द्वारा साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 बोगी में आग लगाने के विरोध में बुलाए गए बंद के दौरान 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के नरोदा गाम क्षेत्र में दंगे भड़क गए थे।

Location: India, Gujarat, Ahmedabad

SHARE ARTICLE

ROZANASPOKESMAN

Advertisement

 

Congress ਦੇਵੇਗੀ Farmers ਨੂੰ Delhi ਜਾਣ ਨੂੰ ਰਾਹ, Punjab ਦੇ MP Dr. Amar Singh ਕਰ ਗਏ ਐਲਾਨ!

28 Sep 2024 5:58 PM

ਪ੍ਰਧਾਨਗੀ ਲਈ PU ਚੋਣਾਂ 'ਚ ਪਾਰਟੀਆਂ ਦੇ ਫਸੇ ਸਿੰਙ, ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਗਿਆ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਪ੍ਰਚਾਰ ਤੇ ਠੋਕ ਕੇ ਬੋਲਦੇ ਮੁੰਡੇ!

31 Aug 2024 4:52 PM

ਕੀ ਹੈ HPV ਵਾਇਰਸ ਅਤੇ ਕਿਹੜੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਦਾ ਜ਼ਿਆਦਾ ਖ਼ਤਰਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ?

31 Aug 2024 4:48 PM

'ਦਸਤਾਰ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਮੈਂ ਅਧੂਰਾ ਹਾਂ', ਦੇਖੋ Yograj ਨੇ ਜ਼ਿੰਦਗੀ 'ਚ ਕਿਹੜਾ ਕੀਤਾ ਸੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਗੁਨਾਹ

31 Aug 2024 4:46 PM

'ਦਸਤਾਰ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਮੈਂ ਅਧੂਰਾ ਹਾਂ', ਦੇਖੋ Yograj ਨੇ ਜ਼ਿੰਦਗੀ 'ਚ ਕਿਹੜਾ ਕੀਤਾ ਸੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਗੁਨਾਹ

31 Aug 2024 4:44 PM

ਦੇਖੋ Dhanveer ਅੱਜ ਵੀ ਜਦੋ Lucky ਅਤੇ Navdeep ਨੂੰ ਦੇਖਦੇ ਨੇ ਤਾਂ ਕਿਹੜੀ ਪੁਰਾਣੀ Memory ਅਉਂਦੀ ਹੈ ਯਾਦ

31 Aug 2024 4:41 PM