
झामुमो अध्यक्ष का पद पहले उनके पिता शिबू सोरेन के पास था।
'I will become voice of every poor person of Jharkhand', said CM Hemant Soren JMM chief: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का अध्यक्ष चुने जाने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के हर गरीब, वंचित और युवा की आवाज बनने की शपथ ली। झामुमो अध्यक्ष का पद पहले उनके पिता शिबू सोरेन के पास था।
राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन पिछले 38 वर्षों से झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख थे, जबकि उनके बेटे हेमंत 2015 से पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे थे।
हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आदरणीय बाबा, हमारे संरक्षक आदरणीय शिबू सोरेन जी ने जिन विचारधाराओं की छांव तले झामुमो की नींव रखी थी, आज उसे आगे बढ़ाने का अवसर मिलना मेरे लिए गर्व का क्षण है। मैं विनम्रतापूर्वक इस जिम्मेदारी को स्वीकार करता हूं और प्रण लेता हूं कि झारखंड के हर गांव, हर गरीब, हर वंचित और हर युवा की आवाज बनूंगा।’’
हेमंत सोरेन मंगलवार को झामुमो के 13वें केंद्रीय अधिवेशन के दौरान अध्यक्ष पद के लिए चुने गए, जिसमें उनके पिता को पार्टी का संस्थापक संरक्षक बनाया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘आज जब मैं झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष पद का दायित्व संभाल रहा हूं, तो मेरे मन में कई भावनाएं उमड़ रही हैं। यह कोई साधारण पद नहीं, बल्कि झारखंड की जनता के सपनों, संघर्षों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व है।’’
उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी का इतिहास संघर्षों से भरा है, लेकिन हमारा संकल्प अडिग है।
झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आज फिर से हमें एकजुट होकर झारखंड की अस्मिता, विकास और न्याय के लिए संघर्ष करना है। मैं सभी कार्यकर्ताओं, नेताओं और झारखंडवासियों से वादा करता हूं कि आपका विश्वास कभी टूटने नहीं दूंगा।’’
मंगलवार को संपन्न हुए दो दिवसीय केंद्रीय सम्मेलन के दौरान हेमंत सोरेन ने झामुमो के लिए एक मजबूत सामाजिक न्याय एजेंडा पेश किया, जिससे पार्टी के राज्य से बाहर अपने प्रभाव का विस्तार करने के इरादे का संकेत मिलता है। उन्होंने घोषणा की कि ‘‘सामंती ताकतों’’ को अब राज्य का शोषण करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
शिबू सोरेन की अध्यक्षता में पार्टी के 13वें केंद्रीय सम्मेलन में उनके बेटे हेमंत सोरेन ने संकेत दिया कि पार्टी राज्य में 2024 के विधानसभा चुनाव में अपने मजबूत प्रदर्शन से उत्साहित होकर अपनी राष्ट्रीय भूमिका को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा, ‘‘अबुआ सरकार (झामुमो सरकार) का गठन आदिवासियों, दलितों और अन्य हाशिए के समुदायों की सामूहिक इच्छाशक्ति के कारण हुआ, जिन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की डबल इंजन वाली सरकार को खारिज कर दिया था।’’
हेमंत सोरेन ने कहा, ‘‘यह सरकार जनता की है... सामंती ताकतों को यहां की जनता के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा और अब झामुमो एक शक्तिशाली ताकत के रूप में उभरा है, झामुमो उन्हें झारखंड को और लूटने नहीं देगा।’’
उन्होंने कहा कि उनके पिछले शासन के दौरान भाजपा ने उनकी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कई षड्यंत्र रचे, लेकिन झामुमो सरकार ने ‘‘लगातार राजनीतिक दबाव’’ का सामना किया और यह अपने लोगों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध है।
वर्ष 2000 में राज्य के गठन के बाद से राज्य की राजनीतिक यात्रा पर विचार करते हुए सोरेन ने पिछली सरकारों पर ऐसी नीतियों को लागू करने का आरोप लगाया जिससे आदिवासियों और किसानों का शोषण जारी रहा। उन्होंने कहा कि पार्टी ने कई राज्यों में अपना जनाधार बढ़ाया है, और आगे भी बढ़ाती रहेगी।(pti)
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