मामले में कुल 124 लोग आरोपी बनाए गए थे। यह रकम 1990 से 1995 के बीच निकाली गई थी।
रांची: रांची की एक विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाले के एक मामले में सोमवार को 89 लोगों को दोषी ठहराते हुए उनमें से 53 को विभिन्न अवधि के कारावास की सजा सुनाई। इसमें अधिकतम सजा तीन साल कैद की सुनाई गई है। लोक अभियोजक ने कहा कि शेष 36 दोषियों की सजा की अवधि को लेकर एक सितम्बर को सुनवाई होगी। विशेष सीबीआई न्यायाधीश विशाल श्रीवास्तव ने मामले में 35 अन्य लोगों को बरी कर दिया।
यह मामला एकीकृत बिहार के डोरंडा कोषागार से कपटपूर्ण तरीके से 36.59 करोड़ रुपये निकालने से जुड़ा है। इस मामले में कुल 124 लोग आरोपी बनाए गए थे। यह रकम 1990 से 1995 के बीच निकाली गई थी। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष लोक अभियोजक रविशंकर ने कहा कि चारा घोटाले के डोरंडा कोषागार मामले में अदालत ने 35 लोगों को बरी कर दिया है, जबकि 89 अन्य लोगों को दोषी ठहराया गया है।
रविशंकर ने कहा कि 89 दोषियों में से 53 लोगों को विभिन्न अवधि के कारावास की सजा सुनाई गई है। सरकारी वकील ने कहा कि शेष 36 लोगों की सजा पर सुनवाई एक सितंबर को होगी। उन्होंने कहा कि चारा घोटाले के इस मामले में 600 गवाहों के बयान दर्ज किए गए जबकि 50,000 पन्नों के दस्तावेजी साक्ष्य भी सौंपे गए।
डोरंडा, देवघर, दुमका और चाईबासा के कोषागारों से कपटपूर्ण तरीके से करोड़ों रुपये निकाले जाने से जुड़ा यह घोटाला 1990 के दशक में उजागर हुआ था, जब बिहार का बंटवारा नहीं हुआ था।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद उन चर्चित नेताओं में से एक हैं, जिन्हें इस मामले में दोषी ठहराया गया था। फिलहाल वह खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत पर हैं।