प्रतियोगिता में राज्य के कोने-कोने से आये प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए दर्जनों लोगों ने पंजीकरण कराया था...
पटना ,(संवाददाता) : बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ के तत्वाधान में 8 जनवरी को मछली खाओं प्रतियोगिता का आयोजन संघ सभागार, मीन भवन में किया गया। प्रतियोगिता में राज्य के कोने-कोने से आये प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए दर्जनों लोगों ने पंजीकरण कराया था पंजीकृत लोगों को ही प्रतियोगिता में शामिल होने की अनुमति दी गई। प्रतियोगिता के प्रथम विजेता मदन कुमार को पुरस्कार स्वरूप 10,000 रूपये द्वितीय विजेता पारस कुमार को 5000 रूपये एवं तृतीय विजेता कुमार राज सहनी (राजू) तथा जाय कुमार झा को 2,500 रूपये की राशि, ट्राफी एवं प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया।
इस अवसर पर संघ के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि मछली खाओं प्रतियोगिता का मुख्य उदेश्य है लोगों में मछली पालन एवं खाने के प्रति जागरूकता पैदा करना। बिहार कृषि प्रधान राज्य है, यहाँ लाखों लोग कृषि एवं मछली पालन में अपनी जीविका चलाते है। लेकिन अभी भी राज्य मछली उत्पादन से आत्मनिर्भर नहीं है, अभी भी बिहार में बड़े पैमाने पर मछली आंध्रप्रदेश एवं पश्चिम बंगाल से मंगाया जा रहा है। श्री कश्यप ने कहा कि हफ्ते में एक बार मछली जरूर खाना चाहिए।
यह सुपाच्य भी है, इसका सेवन शरीर को एक्टिव रखता है। मछली में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। जो स्किन के साथ-साथ बालों के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसके साथ ही मछली में ओमेगा 3 फैटी एसिड काफी मात्रा में पाया जाता है। इसके नियमित सेवन से कैंसर का खतरा नही रहता है तथा यह दिल और धमनियों को मजबूत करता है दिल के मरीजों के लिए मछली का सेवन बहुत लाभदायक है। इसमें विटामिन । पाया जाता है, जो आँखों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। जो अल्जाइमर नामक बीमारी से भी छुटकारा प्रदान करता है। मछली में विटामिन क् भी पाया जाता है, जो हड्ड्यिों के विकास के लिए आवश्यक है।
इस अवसर पर संघ के अध्यक्ष श्री प्रयाग सहनी ने बतलाया कि वर्तमान में 8 लाख मैट्रिक टन डिमांड/खपत है जबकि उत्पादन 6 लाख मैट्रिक टन है। 2 लाख मैट्रिक टन गेप है जिसकी भरपाई आंध्रप्रदेश से मछली लगभग 4,000 करोड़ रूपये का खरीद करके करना पडता है, अगर वर्तमान सरकार प्रदेश में मछली पालन को बढ़ावा देती है तो प्रदेश को आत्म निर्भर बनाया जा सकता है। इससे प्रदेश से बाहर जाने वाली राशि की बचत होगी। इसके अलावा लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा, बिहार मिट्टी एवं पानी मछली पालन के लिए अनुकूल है। मछली पालन के लिए उतर बिहार में जल क्षेत्र भी है। इसका लाभ प्रदेश को मिलना चाहिए।
इस अवसर पर संघ के निदेशक कुमार शुभम, सानिध्य राज, अभिलाष कुमार, ब्रजेंद्रनाथ सिन्हा, मदन कुमार तथा संघ के पूर्व उपाध्यक्ष दिनेश सहनी तथा कृष्णा कुमार, जय शंकर, कालू कुमार, सिमरन, गुड्डी बेगम, अभिलाषा सिंह, सरोज सहनी, कृष्णा सहनी, अखिलेश कुमार, शुभम राज, उपस्थित थे।