पंजाब अपार्टमेंट एंड प्रॉपर्टी रेगुलेशन एक्ट के तहत अवैध कालोनियों को पंजीकृत करने पर पाबंदी थी।
High Court News In Hindi: अवैध कॉलोनियों की बढ़ती संख्या को रोकने में पंजाब सरकार की उदासीनता पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर क्यों सरकार इनकी बाढ़ रोक नहीं पा रही है। हाईकोर्ट ने अब बिना एनओसी के पंजीकरण की अनुमति को लेकर जवाब दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया है।
लुधियाना निवासी प्रेम प्रकाश ने एडवोकेट आयुष गुप्ता के माध्यम से याचिका दाखिल करते हुए बताया कि पंजाब अपार्टमेंट एंड प्रॉपर्टी रेगुलेशन एक्ट के तहत अवैध कालोनियों को पंजीकृत करने पर पाबंदी थी। 2014 और फिर बाद में 2018 में वन टाइम सेटलमेंट स्कीम के तहत अवैध कालोनियों को पंजीकृत करने के सरकार ने निर्देश जारी किए थे।
यह तय किया गया था कि सब-रजिस्ट्रार ऐसी किसी संपत्ति को पंजीकृत नहीं करेंगे जिसकी एनओसी नहीं होगी। 12 दिसंबर 2019 को सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर एनओसी की बाध्यता हटा दी। याचिकाकर्ता ने कहा कि इससे अवैध कालोनियों के पंजीकरण का रास्ता सरकार ने साफ कर दिया है। हरियाणा के एक मामले में हाईकोर्ट पहले ही तय कर चुका है कि बिना एनओसी सेल डीड नहीं हो सकती। हाईकोर्ट ने 4 अप्रैल 2022 को पंजाब सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी।
याची ने बताया कि इससे पहले भी इस विषय को लेकर याचिका दाखिल की गई थी। उस दौरान पंजाब सरकार ने कहा था कि यह नोटिफिकेशन कानून विभाग के परामर्श से जारी की गई है। अगर इस पर आपत्ति है तो सरकार फिलहाल इस नोटिफिकेशन पर अपनी ओर से तब तक रोक लगाने को तैयार है, जब तक की याचिकाकर्ता द्वारा दी गई शिकायत पर दोबारा गौर नहीं कर लिया जाता।
पंजाब सरकार के इस बात पर विश्वास दिलाने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया था। पंजाब सरकार को हाईकोर्ट ने जल्द से जल्द उचित निर्णय लेने का आदेश दिया था। याची ने बताया कि पंजाब सरकार ने याची के मांगपत्र पर निर्णय लेते हुए इसे खारिज कर दिया। ऐसे में दोबारा यह याचिका दाखिल की गई है। हाईकोर्ट ने याची पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद इस मामले में पंजाब के मुख्य सचिव को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था।
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