
जन औषधि केंद्रों में 282 प्रकार की जेनेरिक दवाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं।
Amritsar News In Hindi : देश का पहला जन औषधि केंद्र अब कभी नहीं खुलेगा। स्वास्थ्य विभाग ने साफ कर दिया है कि सिविल अस्पताल में सरकारी दवाएं निश्शुल्क मिल रही हैं तो फिर जन औषधि केंद्र की अनिवार्यता अब नहीं रही। हालांकि वास्तविक स्थिति यह है कि जन औषधि केंद्र को खोलने की दिशा में विभाग ने सकारात्मक प्रयास नहीं किया।
दरअसल, सिविल अस्पताल में आने वाले मरीजों को उचित मूल्य पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से वर्ष 2008 में अमृतसर के सिविल अस्पताल में देश का पहला जन औषधि केंद्र स्थापित किया गया था। जेनेरिक दवाएं 50 से 60 प्रतिशत छूट पर मरीजों को दी जाती थीं। जुलाई 2021 में जन औषधि केंद्र में कार्यरत स्टाफ ने यहां ब्रांडेड दवाएं बेचनी शुरू कर दीं।
मरीजों को जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं में अंतर मालूम नहीं, ऐसे में वे महंगी ब्रांडेड दवाएं खरीदने को विवश होते रहे। उस समय सिविल अस्पताल की पहली मंजिल पर शौचालय में भारी मात्रा में ब्रांडेड दवाएं बरामद की गई थीं। सरकारी अस्पताल में निजी दवा कंपनी की दवाएं बेचने के आरोप में प्रशासन ने केंद्र में कार्यरत तीन फार्मासिस्टों को नौकरी से निकाल दिया और केंद्र पर ताला जड़ दिया गया।
जन औषधि केंद्र में मिलती थीं 282 प्रकार की दवाएं, वहीं जन औषधि केंद्रों में 282 प्रकार की जेनेरिक दवाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं। ब्रांडेड दवा का जो पत्ता 100 रुपये में मिलता है, वह जन औषधि केंद्र में केवल 25 से 30 रुपये में मिल जाता था। विडंबना यह कि जेनेरिक दवाओं का बिल त्तक मरीजों को नहीं दिया जाता था।
सरकारी डिस्पेंसरी में मिलेंगी निशुल्क दवाएं एसएमओ डा. स्वर्णजीत धवन का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से डिस्पेंसरी में दवाएं उपलब्ध करवाई गई हैं। हमारे पास 95 प्रतिशत दवाएं हैं। सभी दवाएं मरीजों को निश्शुल्क दी जा रही हैं। हमने आउटसोर्स के माध्यम से जन औषधि केंद्र चलाने का प्रयास किया था। सरकार की ओर से यह आदेश हुए हैं कि मरीजों को सरकारी डिस्पेंसरी से ही निश्शुल्क दवाएं उपलब्ध करवाई जाएं।
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