उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में IITR, CDRI, CIMAP और NBRI जैसे उच्चस्तरीय शोध संस्थान काम कर रहे हैं।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में दवा क्षेत्र में अनुसंधान, शोध एवं विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए ‘फार्मास्यूटिकल रिसर्च एंड इन्नोवेशन इंस्टीट्यूट’ की स्थापना करने का फैसला किया है।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने यहां बताया कि मुख्यमंत्री ने बुधवार को एक उच्च स्तरीय बैठक में प्रदेश में फार्मस्यूटिकल क्षेत्र के विकास की संभावनाओं पर चर्चा की।
इस विशेष बैठक में मुख्यमंत्री ने फार्मा सेक्टर में शोध एवं अनुसंधान को प्रोत्साहित करने पर बल देते हुए कहा कि दवा उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षण संस्थानों, रिसर्च लैब और इंडस्ट्री तीनों क्षेत्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता है और ऐसे में फार्मास्यूटिकल रिसर्च एंड इनोवेशन इंस्टीट्यूट की स्थापना की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूट के स्वरूप के संबंध में विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाये। सेक्टर विशेषज्ञों का पैनल तैयार किया जाए और फार्मास्युटिकल सेक्टर की भविष्य की जरूरतों का आकलन करें और दुनिया भर की सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों का अध्ययन करते हुए आगामी 15 दिनों के भीतर विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत करें।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि इंस्टिट्यूट के निर्माण के लिए राजधानी लखनऊ में उपयुक्त भूमि चिन्हित की जाए। यह संस्थान मूलतः शोध और नवाचार पर केंद्रित होगा, साथ ही सेक्टर से संबधित अन्य संस्थानों व इंडस्ट्री के बीच सेतु का काम करेगा।
प्रवक्ता के मुताबिक आदित्यनाथ ने बैठक में कहा कि दवा निर्माण इकाइयों की संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश देश का छठा सबसे बड़ा राज्य है और अब इसे अग्रणी राज्य बनाने का लक्ष्य है। इसी तरह देश में दवा निर्माण में राज्य के योगदान को दो प्रतिशत से बढ़ाकर 10-12 फीसद तक पहुंचाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में IITR, CDRI, CIMAP और NBRI जैसे उच्चस्तरीय शोध संस्थान काम कर रहे हैं। वहीं, एसजीपीजीआई और केजीएमयू जैसे अकादमिक संस्थान भी हैं। नियोजित प्रयासों से बीते कुछ वर्षों में लखनऊ बायोफार्मा हब के रूप में उभर कर आया है