वित्तीय संस्थान सुनिश्चित करें, ग्राहक अपने खातों में ‘वारिस’ का अद्यतन करें : वित्त मंत्री सीतारमण

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वित्तीय संस्थान सुनिश्चित करें, ग्राहक अपने खातों में ‘वारिस’ का अद्यतन करें : वित्त मंत्री सीतारमण
Published : Sep 5, 2023, 4:23 pm IST
Updated : Sep 5, 2023, 4:23 pm IST
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Finance Minister Sitharaman
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सीतारमण ने कहा कि कर पनाहगाह देश और पैसे की ‘राउंड ट्रिपिंग’ जिम्मेदार वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा है।

मुंबई: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उनके ग्राहक अपने वारिस (नॉमिनी) को नामित करें, जिससे बिने दावे वाली जमा की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। सीतारमण ने यहां ग्लोबल फिनटेक फेस्ट (जीएफएफ) में कहा, ‘‘ मैं चाहती हूं कि बैंकिंग प्रणाली, वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र (सहित) म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार... हर कोई यह ध्यान रखे कि जब कोई अपने (ग्राहक के) पैसे का लेनदेन करता है, तो संगठनों को भविष्य के बारे में सोचना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि वे (ग्राहक) अपने ‘वारिस’ को नामित करें, उनका नाम और पता दें।’’

एक रिपोर्ट के अनुसार, केवल बैंकिंग प्रणाली में 35,000 करोड़ रुपये से अधिक ऐसी राशि है जिसके दावेदार नहीं हैं, जबकि जबकि ऐेसी कुल राशि एक लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लोगों को ‘लावारिस’ राशि की खोज और दावा करने में मदद करने के लिए एक केंद्रीकृत वेब पोर्टल यूडीजीएएम (लावारिस जमा - जानकारी तक पहुंचने का प्रवेश द्वार) की 17 अगस्त को शुरुआत की है। वित्त मंत्री ने कहा कि जिम्मेदार वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना आवश्यक है और एक भी लापरवाही विघटन का कारण बन सकती है, जिससे भरोसे की कमी हो सकती है और वित्तीय दुनिया में संकट पैदा हो सकता है।

सीतारमण ने कहा कि कर पनाहगाह देश और पैसे की ‘राउंड ट्रिपिंग’ जिम्मेदार वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा है। ‘राउंड ट्रिपिंग’ से आशय किसी कंपनी द्वारा अपने पैसे को विदेश में घुमा-फिराकर देश में वापस लाने से है। 

उन्होंने कहा, ‘‘ हमें एक जिम्मेदार वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए खतरों और उससे जुड़ी चुनौतियों के बारे में भी समान रूप से बात करनी चाहिए।’’

वित्तीय प्रणाली के समक्ष आने वाले खतरों को रेखांकित करते हुए सीतारमण ने कहा कि सीमा से जुड़े खतरे हैं जैसे पारंपरिक युद्ध आदि। फिर साइबर खतरे भी हैं, पहुंच आज बहुत अधिक हो गई है। वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) कंपनियों के देश की मदद करने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि डीमैट खातों की संख्या 2019-20 में 4.1 करोड़ से 2.5 गुना होकर 2022-23 में 10 करोड़ हो गई है।

आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या बढ़ने पर उन्होंने कहा कि अगस्त के आंकड़े संकेत देते हैं कि अर्थव्यवस्था अब वास्तव में व्यापक रूप से संगठित हो रही है यह कई अलग-अलग क्षेत्रों तक पहुंच बना रही है। ऋण सुविधाएं, सामाजिक सुरक्षा, पेंशन, बीमा, इन सभी तक पहुंच बन रही है। वित्त मंत्री ने फिनटेक कंपनियों से उपयोगकर्ता के ब्योरे और वित्तीय लेनदेन की सुरक्षा के लिए उन्नत ‘एन्क्रिप्शन’ और अन्य उपायों का इस्तेमाल करते हुए मजबूत सुरक्षा उपायों में भारी निवेश करने को भी कहा।

सीतारमण ने कहा कि एक सुरक्षित प्रणाली से भरोसा बढ़ता है और वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए यह जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत वित्तीय परिवेश को समावेशी, जुझारू और टिकाऊ बनाने में एक अगुवा की भूमिका निभा सकता है।

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