किताब का नाम है “वाजपेयी: द एसेंट ऑफ द हिंदू राइट”
New Delhi: देश के पूर्व प्रधानमंत्री (Former Prime Minister) अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) को कौन नहीं जानता. उनके जीवन से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जो लोगों को प्रभावित करते हैं. और अब अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन पर आधारित एक किताब से उनके बारे में एक और दिलचस्प किस्सा जानने को मिला है. किताब का नाम है “वाजपेयी: द एसेंट ऑफ द हिंदू राइट” इस किताब के लेखक अभिषेक चौधरी है. अभिषेक चौधरी ने इस किताब में बहुत कुछ लिखा है.
उन्होंने इस किताब में लिखा है कि जब अटल बिहारी वाजपेयी 1960 में पहली बार अमेरिका की यात्रा पर गए और संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में तैनात एक युवा भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी से उनकी दोस्ती हो गई। इसके बाद दोनों ने न्यूयॉर्क की यात्रा की और संग्रहालय, कला दीर्घा, यहां तक की नाइटक्लब भी गए। पूर्व प्रधानमंत्री की नई जीवनी में यह बातें कही गई हैं।
वाजपेयी जॉन एफ. कैनेडी और रिचर्ड निक्सन के बच राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान पर्यवेक्षक बनने के लिए अमेरिकी सरकार के निमंत्रण पर वहां गए थे। वह संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा चुने गए प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा थे।
अभिषेक चौधरी ने अपने दो खंडों के संस्मरण “वाजपेयी: द एसेंट ऑफ द हिंदू राइट” के पहले हिस्से में कहा है कि 25 सितंबर, 1960 की सुबह वाजपेयी अपनी पहली विदेश यात्रा पर अमेरिका जाने के लिए एक विमान में सवार हुए।
उन्होंने लिखा, “अमेरिकी सरकार की ओर से उन्हें राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान एक पर्यवेक्षक के रूप में उपस्थित होने का निमंत्रण दिया गया था। 'ऑर्गनाइजर' में बताया गया है कि उन्हें रेलवे श्रमिकों से संबंधित कार्यक्रम के लिए भी आमंत्रित किया गया था। हालांकि ‘ऑर्गनाइजर’ ने वाजपेयी की यात्रा के दूसरे और शायद अधिक महत्वपूर्ण हिस्से का उल्लेख नहीं किया कि नेहरू ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के लिए प्रतिनिधियों की सूची में शामिल किया था।”
लेखक के अनुसार, न्यूयॉर्क में अपने प्रवास के दौरान अधिकतर समय वाजपेयी आईएफएस अधिकारी महाराजकृष्ण रसगोत्रा के साथ रहे।
‘पिकाडोर इंडिया’ द्वारा प्रकाशित इस किताब में कहा गया है, “संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में नहीं होने पर, वाजपेयी ने अपना समय (आरएसएस के मुखपत्रों के लिए) लेखन और रसगोत्रा के साथ शहर की यात्रा में बिताया। विऔपनिवेशीकरण के विशेषज्ञ रासगोत्रा ने संयुक्त राष्ट्र के बारे में वाजपेयी की समझ पैनी की, तो उस समय सांसद रहे वाजपेयी ने अपने संसदीय जीवन के किस्से साझा किए।”
चौधरी ने कहा, “दोनों की आयु 30 साल के आसपास थी और वे कुंवारे थे। उनके बीच थोड़ी बहुत दोस्ती भी थी। रसगोत्रा उन्हें संग्रहालयों और कला दीर्घाओं में ले गए, लेकिन इसमें वाजपेयी को कुछ खास मजा नहीं आया। कई बार रसगोत्रा उन्हें नाइट क्लब भी ले गए। वाजपेयी को यह भी मालूम नहीं था कि वास्तव में नाइट क्लब क्या होता है।”
चौधरी ने लिखा, “रसगोत्रा ने उन्हें आश्वस्त किया कि यह कोई स्ट्रिप क्लब नहीं है: यहां 'नग्न नृत्य नहीं होता। यहां आपको पता चलेगा कि आधुनिक संगीत क्या आकार ले रहा है - यह जैज, इंस्ट्रूमेंटल लोकल म्यूजिक है।' इस पर वाजपेयी उत्साहित होकर बोले: 'चलिए, ये भी एक नयी दुनिया है।' ऐसे सैर सपाटों के दौरान उन्होंने एकाध पैग भी लगाए।”