26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई पर हमला कर दिया था।
Mumbai Attack News In Hindi: मुंबई हमले (26/11) के आरोपी तहव्वुर राणा को जल्द भारत लाया जा सकता है। अमेरिकी कोर्ट ने भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, राणा को राजनयिक माध्यम से भारत लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। तहव्वुर राणा को 2009 में एफबीआई ने गिरफ्तार किया था।
15 अगस्त, 2024 को राणा ने प्रत्यर्पण फैसले के खिलाफ अपील की, जिसे जिला न्यायालय ने खारिज कर दिया। अमेरिकी कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे भारत भेजा जा सकता है।
मुंबई हमले की 405 पन्नों की चार्जशीट में राणा का नाम भी आरोपी के तौर पर दर्ज है। इसके मुताबिक, राणा आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य है। आरोपपत्र के मुताबिक राणा हमले के मुख्य आरोपी डेविड कोलमैन हेडली की मदद कर रहा था।
26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई पर हमला कर दिया था। इनमें 166 लोग मारे गए और 300 घायल हुए। मरने वालों में कुछ अमेरिकी नागरिक भी थे। मुठभेड़ में पुलिस ने 9 आतंकियों को मार गिराया और अजमल कसाब को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें 2012 में फांसी दे दी गई थी।
राणा-हेडली ने तैयार किया था मुंबई हमले का खाका मुंबई पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, राणा भारत आकर आतंकियों को हमले की जगह और उनके रहने के ठिकाने बताकर मदद कर रहा था। ये ब्लूप्रिंट राणा ने ही तैयार किया था, जिसके आधार पर ये हमला किया गया। राणा और हेडली ने रची थी आतंकी साजिश। चार्जशीट में कहा गया था कि राणा ने मुंबई हमले की साजिश रचने में अहम भूमिका निभाई थी।
प्रत्यर्पण फैसले के खिलाफ राणा की अपील अमेरिकी अदालत ने 15 अगस्त को खारिज कर दी थी। अमेरिकी कोर्ट ने 15 अगस्त को अपने फैसले में कहा था कि दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे भारत भेजा जा सकता है। भारत प्रत्यर्पित किए जाने से बचने के लिए पाकिस्तानी मूल के तहव्वुर राणा ने अमेरिकी अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है।
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का उपयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में लिया जाता है। हालांकि, लॉस एंजिलिस की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि जिन आरोपों के आधार पर भारत ने तहव्वुर के प्रत्यर्पण की मांग की है, उसे देखते हुए उसके प्रत्यर्पण की इजाजत दी जा सकती है।
अपने ख़िलाफ़ फ़ैसले के बाद राणा ने नौवीं सर्किट कोर्ट में एक और याचिका दायर की। गुरुवार को फैसला आया। जिसमें बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका को खारिज करने को बरकरार रखा गया था। पैनल ने कहा कि राणा के अपराध अमेरिका और भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत आते हैं। भारत ने हमले के संबंध में राणा के खिलाफ लगाए गए आरोपों के समर्थन में पर्याप्त सबूत उपलब्ध कराए हैं।
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