उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है...
जोधपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की न्यायपालिका पर टिप्पणियों के खिलाफ अधिवक्ताओं द्वारा स्वेच्छा से काम का बहिष्कार करने से जोधपुर की निचली अदालतों और उच्च न्यायालय में न्यायपालिका संबंधी कामकाज प्रभावित हुआ। राजस्थान उच्च न्यायालय अधिवक्ता एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि भंसाली ने बताया कि जोधपुर में करीब 10 हजार वकील हैं और उन्होंने आज स्वेच्छा से एक दिन के लिए कार्य बहिष्कार किया है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है और उनके बयानों के खिलाफ वकील आज एक दिन के प्रतीकात्मक विरोध के रूप में काम नहीं कर रहे हैं। भंसाली ने कहा कि अधिवक्ताओं के बहिष्कार के कारण अदालत में मामलों की सुनवाई प्रभावित हुई है।
मुख्यमंत्री ने बीते बुधवार को आरोप लगाया था, ‘‘आज न्यायपालिका में भ्रष्टाचार व्याप्त है। मैंने सुना है कि कुछ वकील खुद ही फैसला लिखकर लाते हैं और वही फैसला सुनाया जाता है।’’
उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा था, ‘‘न्यायपालिका में क्या हो रहा है? चाहे निचली हो या ऊपरी (अदालतें), चीजें गंभीर हैं और लोगों को इसके बारे में सोचना चाहिए।’’ उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग को ऊपर से निर्देश मिलते हैं और एजेंसियां बिना पूर्व आकलन किये छापेमारी करती हैं।
हालांकि, आलोचना के बाद मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के संबंध में उन्होंने एक दिन पहले जो कहा था, वह उनकी निजी राय नहीं थी और उन्होंने हमेशा न्यायपालिका का सम्मान किया है और उसमें विश्वास किया है।
गहलोत की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया करते हुए एक वकील ने बृहस्पतिवार को जयपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की, जिसमें गहलोत के खिलाफ मामले का स्वत: संज्ञान लेने की मांग की गई, जबकि जोधपुर में वकीलों ने गहलोत की टिप्पणियों की निंदा की और जोधपुर में उच्च न्यायालय और अधीनस्थ अदालतों में एक दिवसीय प्रतीकात्मक बहिष्कार की घोषणा की। जोधपुर निवासी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने भी टिप्पणी को आपत्तिजनक बताते हुए इसकी निंदा की।