दरअसल यह दल यहां कोचिंग छात्रों के लिए काउंसलर (परामर्शदाता) की भूमिका निभा रहा है।
कोटा (राजस्थान): क्या ऐसा कुछ है जो आपको परेशान कर रहा है? क्या आप वास्तव में इंजीनियर या डॉक्टर बनना चाहते हैं? क्या आप कक्षा में जो पढ़ाया जा रहा है उसे पूरी तरह समझ पा रहे हैं? क्या मेस में परोसे जा रहे खाने की गुणवत्ता अच्छी है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो कोटा में छात्रों से पुलिसकर्मियों के एक दल द्वारा नियमित तौर पर पूछे जा रहे हैं। दरअसल यह दल यहां कोचिंग छात्रों के लिए काउंसलर (परामर्शदाता) की भूमिका निभा रहा है।
दरअसल, छात्रों की आत्महत्याओं की घटनाओं में वृद्धि से आहत शहर की पुलिस ने छात्रों से संवाद कर उनमें तनाव व अवसाद के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए समर्पित ‘‘स्टूडेंट सेल’’ की स्थापना की है।
कोटा के सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) चंद्रशील ठाकुर ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘‘सेल में एक नियंत्रण कक्ष है जहां कर्मियों को हेल्पलाइन पर 'कॉल' प्राप्त करने के लिए तैनात किया जाता है। वे कॉल पर बताई गई समस्याओं पर ध्यान देते हैं और यदि किसी छात्र को पेशेवर मदद की आवश्यकता होती है तो उन्हें परामर्शदाताओं के पास भेजते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी कई टीम हैं जो छात्रावासों में औचक दौरा करती हैं और छात्रों से संवाद करती हैं, उन्हें परामर्श देती हैं और अगर छात्र में दबाव, तनाव या अवसाद के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, तो उनके माता-पिता को सूचित किया जाता है।’’
ठाकुर 11 पुलिसकर्मियों की एक टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन पुलिसकर्मियों को इसलिए चुना गया क्योंकि सभी की उम्र 40 के आसपास है और उनके किशोर बच्चे हैं, जिससे उन्हें छात्रों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने में मदद मिलेगी।
टीम अपना कामकाज सुबह नौ बजे शुरू करती है और प्रतिदिन कम से कम 15 छात्रावासों का दौरा करती है। टीम छात्रों को समर्पित सेल से परिचित कराने, उनके साथ हेल्पलाइन नंबर साझा करने और मदद के वास्ते उनकी काउंसलिंग करने के साथ ही वैकल्पिक योजना तैयार करने जैसे काम करती है। हालांकि, टीम के सदस्य वर्दी में नहीं रहते हैं।.
ठाकुर ने कहा, ‘‘हम अब तक करीब 60,000 छात्रों से संपर्क कर चुके हैं। कभी-कभी छात्र हमारे साथ यह जानकारी साझा करने में अनिच्छुक होते हैं कि वे माता-पिता के किसी प्रकार के दबाव में हैं। हम वार्डन से भी संपर्क करते हैं ताकि वे हमें बता सकें कि क्या उन्हें छात्र के व्यवहार में कोई बदलाव नजर आता है, जैसे कि यदि छात्र कक्षा में नहीं जा रहा है या भोजन नहीं ले रहा है। अगर हम ऐसे छात्रों की पहचान कर पाते हैं, तो हम उस स्थिति में पहुंचने से पहले ही उनकी मदद कर सकते हैं, जहां वे आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं।’’ इंजीनियरिंग के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सालाना 2.5 लाख से अधिक छात्र कोटा जाते हैं।. वर्ष 2023 में अब तक छात्रों की आत्महत्या के सबसे अधिक 22 मामले सामने आ चुके हैं। पिछले साल, यह संख्या 15 थी।.