दो दिन बाद एक जला हुआ शव मिला. शव को परिवार वाले ने ज्योति शर्मा समझकर अंतिम संस्कार कर दिया था.
Trending News: मध्य प्रदेश के भिंड जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहां मेहगांव निवासी सुनील शर्मा की पत्नी ज्योति शर्मा 2 मई को अचानक घर से लापता हो गई. पहले तो सुनील ने अपने स्तर पर ज्योति की तलाश की लेकिन जब उस की कोई खबर नहीं मिली तो उस ने मेहगांव थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी.
दो दिन बाद एक जला हुआ शव मिला. शव को परिवार वाले ने ज्योति शर्मा समझकर अंतिम संस्कार कर दिया था. वहीं इस घटना के 53 दिन बाद चौंकाने वाला खुलासा हुआ . दरहसल, जिस शव को ज्योति समझकर जला दिया गया था वह ज्योति का नहीं था। क्योंकि घटना के 53 दिन बाद ज्योति जिंदा मिली और वह दिल्ली के पास नोएडा में थी. यह चौंकाने वाली घटना भिंड के मेहगांव इलाके से सामने आई है.
दरअसल, 4 मई को मऊ थाना क्षेत्र के कतरौल गांव के पास एक खेत में एक महिला का जला हुआ शव पड़ा मिला था. ज्योति के ससुराल वाले और दादा-दादी मौके पर पहुंचे और जले हुए शव की पहचान की। इधर, ज्योति के पति सुनील शर्मा किसी अन्य महिला के शव की पहचान कर रहे थे, जबकि उसके माता-पिता ने शव की पहचान ज्योति के रूप में की.
माता-पिता की पहचान के आधार पर पुलिस ने यह मानकर आगे की जांच शुरू कर दी है कि शव ज्योति का ही है। शव के पोस्टमार्टम के बाद ज्योति के मायके वालों ने ससुरालवालों पर अंतिम संस्कार करने का दबाव बनाया. उन्होंने ऐसा न करने पर सड़क जाम करने की भी धमकी दी।
मायके वालों और पुलिस के दबाव के कारण पति सुनील शर्मा ने महिला का शव ले लिया और उसका अंतिम संस्कार कर दिया. पुलिस ने मायके पक्ष के आरोपों पर कार्रवाई करते हुए सुनील को पकड़ लिया और जमकर पिटाई की, लेकिन सुनील यह मानने को तैयार नहीं था कि शव ज्योति का है।
सुनील ने कहा कि उसने अपनी पत्नी की हत्या नहीं की है और न ही शव उसकी पत्नी का है. दिन बीतते गए और सुनील और उसके परिवार पर पुलिस का दबाव बढ़ता गया. सुनील पुलिस से बचते-बचाते दिन गुजार रहा था, तभी अचानक एक दिन सुनील पैसे निकालने बैंक पहुंचा तो उसे पता चला कि ज्योति के बैंक खाते से 2700 रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है.
खास बात यह है कि मध्य प्रदेश में 'लाडली ब्राह्मण योजना' के तहत मिली रकम कियोस्क सेंटर पर अंगूठा लगवाकर निकाल ली गई. जानकारी लेने पर पता चला कि ये पैसे दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा के एक कियोस्क सेंटर से निकाले गए हैं. इसके बाद ये खबर पुलिस तक भी पहुंच गई. जब सुनील पुलिस के साथ नोएडा पहुंचा तो अचानक ज्योति भी फुटपाथ पर अपनी टूटी चप्पल ठीक करती हुई मिल गई.
पुलिस ज्योति को मेहगांव ले आई, कोर्ट में पेश करने के बाद ज्योति को उसके माता-पिता को सौंप दिया गया। 53 दिन बाद ज्योति जिंदा लौट आई लेकिन अब पुलिस के सामने बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि जिस महिला के शव को ज्योति का समझकर पोस्टमॉर्टम के बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया, क्या वह शव उस महिला का था?