स्टालिन ने पढ़ने की आवश्यकता पर भी बल दिया। प्रख्यात लेखक पॉल जचारिया और बावा चेल्लादुरई समेत कई अन्य लेखकों ने भी इसमें भाग लिया।
चेन्नई : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने शुक्रवार को भाषा को किसी भी नस्ल का “जीवन” बताया और तमिल भाषा के संवर्धन के लिए उनकी पार्टी द्रमुक द्वारा वर्षों से उठाए गए विभिन्न कदमों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने 1960 के दशक के हिंदी-विरोधी आंदोलन के स्पष्ट संदर्भ में कहा कि तमिल एकमात्र ऐसी नस्ल थी जिसने “भाषा की रक्षा के लिए अपना जीवन दिया”।
उन्होंने अपने पिता द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के दिवंगत अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि द्वारा 1974 में दिए गये बयान को उद्धृत किया कि “भाषा सम्मान” सुनिश्चित करना अनिवार्य था।
वह उद्घाटन के बाद चेन्नई साहित्य महोत्सव 2023 को संबोधित कर रहे थे।
राज्य में सत्तारुढ़ पार्टी द्रमुक के प्रमुख स्टालिन ने कहा, “यह समय की मांग है। भाषा किसी नस्ल का जीवन है। किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि साहित्य उसका हृदय है। हमारी तमिल नस्ल ने भाषा के संरक्षण के लिये अपनी जिंदगी दी। द्रविड़ आंदोलन यद्यपि राजनीतिक था, लेकिन उसने हमेशा भाषा की सुरक्षा की।”
उन्होंने बीते वर्षों में अपनी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार की विभिन्न तमिल पहलों को याद किया, जिसमें तमिलनाडु के रूप में राज्य का नामकरण, तमिल का शास्त्रीय भाषा का दर्जा सुनिश्चित करना, मद्रास का नाम चेन्नई करना, तिरुक्कुरल (जीवन के विभिन्न पहलुओं पर दोहे) को बढ़ावा देना और इसे लिखने वाले संत तिरुवल्लुवर की कन्याकुमारी में 133 फुट की मूर्ति स्थापित करना शामिल है।.
स्टालिन ने पढ़ने की आवश्यकता पर भी बल दिया। प्रख्यात लेखक पॉल जचारिया और बावा चेल्लादुरई समेत कई अन्य लेखकों ने भी इसमें भाग लिया।