चटर्जी की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि बढ़ाने के लिए अनुरोध किया।
कोलकाता : पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी ने सोमवार को यहां की एक विशेष सीबीआई अदालत में राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त और प्रायोजित स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं के मामले में जमानत के लिए अर्जी दायर की।
चटर्जी की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि बढ़ाने के लिए अनुरोध किया। सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
अदालत ने पूर्व में चटर्जी की अर्जियों को खारिज कर दिया था। अपनी कथित करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट से भारी मात्रा में नकदी, आभूषण और संपत्ति के कागजात की बरामदगी के बाद 23 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पहली बार चटर्जी को गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई ने 16 सितंबर को एक अदालत के आदेश पर उन्हें हिरासत में लिया था।
गिरफ्तारी के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) द्वारा निलंबित किए गए चटर्जी को एजेंसी ने सोमवार को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया। जमानत का अनुरोध करते हुए चटर्जी के वकीलों ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ने उस समिति को किसी तरह का निर्देश नहीं दिया था जिसका गठन लंबित भर्तियों के संबंध में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) का मार्गदर्शन करने, निगरानी करने के लिए 2019 में किया गया था।
एसएससी की सिफारिश पर भर्तियां की गई थी। सीबीआई के वकील ने चटर्जी की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि वह प्रभावशाली व्यक्ति हैं और इस वक्त उन्हें रिहा करने से मामले की जांच पर असर पड़ सकता है।
वर्ष 2014 से 2021 के बीच चटर्जी के पास शिक्षा विभाग का कार्यभार था जब भर्तियों में कथित तौर पर अनियमितताएं हुई थी। पश्चिम बंगाल सरकार ने ईडी द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद उन्हें मंत्री पद से हटा दिया था।