न्यायमूर्ति निशा बानू ने माना था कि ईडी के पास हिरासत मांगने का कोई अधिकार नहीं है और कहा था कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका विचार करने योग्य है।
चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी और इसके बाद निचली अदालत की ओर से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजे जाने को शुक्रवार को वैध ठहराया।
मंत्री की गिरफ्तारी से संबंधित याचिका पर खंडपीठ के खंडित फैसले के बाद मामले की सुनवाई करने वाले तीसरे न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी. वी. कार्तिकेयन ने गिरफ्तारी और न्यायिक हिरासत को वैध ठहराया है। न्यायमूर्ति निशा बानू और न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने सेंथिल बालाजी की पत्नी मेगाला द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (एचसीपी) पर खंडित फैसला सुनाया था।
न्यायमूर्ति निशा बानू ने माना था कि ईडी के पास हिरासत मांगने का कोई अधिकार नहीं है और कहा था कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका विचार करने योग्य है। न्यायमूर्ति भरत चक्रवर्ती इससे सहमत नहीं थे।
ईडी ने पिछले महीने राज्य के परिवहन विभाग में हुए ‘नौकरी के बदले नकदी’ घोटाले के सिलसिले में सेंथिल बालाजी को गिरफ्तार किया था और वह अब भी बिना विभाग के मंत्री बने हुए हैं।