हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया है कि VIP नंबर क्रम संख्या 0001 से 0010 सरकारी वाहनों के लिए ही क्यों रिजर्व हैं?
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया है कि VIP नंबर क्रम संख्या 0001 से 0010 सरकारी वाहनों के लिए ही क्यों रिजर्व हैं? क्या सरकारी गाड़िया इन नंबरों के बिना नहीं चल सकते है ? हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार के इस VIP रवैए पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इन नंबरों को जारी करने के पीछे यदि सरकार की मंशा उक्त नंबरों की नीलामी करके सरकारी खजाने में वृद्धि करना है तो ये नंबर सरकारी वाहनों के लिए रिजर्व करना सही नहीं है।
सरकार टैक्स पेयर की कीमत पर सरकारी खज़ाने का इस्तेमाल इन नंबरों को अपने वाहनों के लिए आरक्षित करने के लिए नहीं कर सकती। कोर्ट ने कहा कि सरकार के पास आम जनता के टैक्स के पैसे की कीमत पर सरकारी वाहनों पर VIP नंबरों के भुगतान का करना गलत है
हिमाचल हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को ये आदेश दिए हैं कि वह न्यायालय को बताएं कि क्या सरकारी वाहन क्रम संख्या 0001 से 0010 नंबर के बिना नहीं चल सकते। और तो और सरकार कैसे टैक्स पेयर की कीमत पर इनके आवंटन को उचित ठहराती है।
आपको बता दें कि न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने संजय सूद द्वारा दायर किये गए याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिए है ।
संजय सूद द्वारा दायर किये गए याचिका की जाँच करने बाद न्यायालय ने ये पाया कि राज्य सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना के तहत वाहनों की क्रम संख्या 0001 से 0010 तक केवल सरकारी वाहनों के लिए रिसर्व है। और सरकारी वाहनों के लिए इस क्रम संख्या की कीमत 1 लाख रुपए प्रति नम्बर रखी गई है।
कोर्ट ने ऐसी व्यवस्था पर हैरानी जताई और मुख्य सचिव को 12 दिसंबर 2022 तक अपना शपथ पत्र न्यायालय के समक्ष दाखिल करने के आदेश भी दिए।