मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली ये याचिकाएं मंत्री बालाजी एवं उनकी पत्नी मेगाला की ओर से दाखिल की गई हैं।
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट धनशोधन के एक मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी को बरकरार रखने के मद्रास उच्च न्यायालय के 14 जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई करने पर सहमत हो गया है।
मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली ये याचिकाएं मंत्री बालाजी एवं उनकी पत्नी मेगाला की ओर से दाखिल की गई हैं।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मंत्री एवं उनकी पत्नी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की उन दलीलों पर संज्ञान लिया कि अगर इस पर तत्काल सुनवाई नहीं की गई तो मुद्दा निरर्थक हो सकता है।
धनशोधन रोधी जांच एजेंसी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तत्काल सुनवाई के अनुरोध वाली सिब्बल की दलीलों का यह कहकर विरोध किया कि गलत तथ्य पेश किए जा रहे हैं और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने आगे की कार्यवाही के लिए मामला अब तक खंडपीठ को नहीं भेजा है।
विधि अधिकारी ने कहा कि अगर पीठ मामला कल सूचीबद्ध करना चाहती है तो उन्हें कोई समस्या नहीं है।
इस पर पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे।’’ मंत्री एवं उनकी पत्नी ने उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में दो अलग अलग याचिकाएं दायर की हैं जिसमें अदालत ने धनशोधन के मामले में ईडी द्वारा मंत्री की गिरफ्तारी को बरकरार रखा था।
मंत्री की गिरफ्तारी को बरकरार रखने के अलावा मद्रास हाई कोर्ट ने धनशोधन मामले में एक सत्र अदालत द्वारा न्यायिक हिरासत में बालाजी की बाद की रिमांड को भी वैध माना था। धनशोधन का यह मामला बालाजी के राज्य का परिवहन मंत्री रहते हुए परिवहन विभाग में कथित ‘नौकरी के बदले नकदी घोटाले’ से उत्पन्न हुआ है।
ईडी ने पिछले महीने राज्य के परिवहन विभाग में हुए ‘नौकरी के बदले नकदी’ घोटाले के सिलसिले में सेंथिल बालाजी को गिरफ्तार किया था और वह अब भी बिना विभाग के मंत्री बने हुए हैं।