अदालत ने कुमाऊं एवं गढ़वाल के आयुक्तों को पूर्व के आदेशों के अनुपालन में सभी स्थानों पर ठोस अपशिष्ट सुविधा का संचालन सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया
नैनीताल : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सूक्ष्म और लघु उद्योगों को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उन्हें प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए अनिवार्य विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी (ईपीआर) पंजीकरण से छूट दे दी है।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ का यह निर्णय उस वक्त आया जब उद्योगों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने अदालत को सूचित किया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा छूट के बावजूद उन्हें अनिवार्य पंजीकरण के दायरे में रखा गया है।
अदालत ने यह छूट मंगलवार को दी।
छोटे और सूक्ष्म उद्योगों के लिए काम करने वाली संस्था लघु उद्योग भारती ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत को सूचित किया कि सीपीसीबी ने फरवरी 2022 में अपने नियमों में संशोधन करते हुए लघु और सूक्ष्म उद्योगों को छोड़कर अन्य सभी के लिए ईपीआर पंजीकरण अनिवार्य कर दिया था।. हालांकि, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बिना ईपीआर रजिस्ट्रेशन के काम करने की सहमति को रद्द कर दिया है तथा इस श्रेणी के उद्योगों को बंदी के कगार पर पहुंचा दिया है।.
अदालत ने कुमाऊं एवं गढ़वाल के आयुक्तों को पूर्व के आदेशों के अनुपालन में सभी स्थानों पर ठोस अपशिष्ट सुविधा का संचालन सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि मामले की फरवरी के दूसरे सप्ताह में फिर से सुनवाई होगी।