ज्वाला ने 20 जनवरी को इन शावकों को जन्म दिया। 10 महीने के अंतराल में दूसरी बार ज्वाला ने शावकों को जन्म दिया है।
Madhya Pradesh News, Namibian cheetah gives birth to three cubs in Kuno National Park: मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में एक नामीबियाई चीता ने तीन शावकों को जन्म दिया है। इससे कुछ हफ्तों पहले एक अन्य चीता ने तीन शावकों को जन्म दिया था। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर यह खबर साझा करते हुए कहा, ‘‘कूनो के नए शावक! नामीबियाई चीता ज्वाला ने तीन शावकों को जन्म दिया है। इससे कुछ हफ्तों पहले नामीबियाई चीता आशा ने तीन शावकों को जन्म दिया था।’’
उन्होंने पोस्ट में कहा, ‘‘अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले सभी वन्यजीव योद्धाओं और देशभर के वन्यजीव प्रेमियों को बधाई। भारत का वन्य जीवन समृद्ध हो।’’
अधिकारियों ने बताया कि ज्वाला ने 20 जनवरी को इन शावकों को जन्म दिया। 10 महीने के अंतराल में दूसरी बार ज्वाला ने शावकों को जन्म दिया है। ज्वाला (नामीबियाई नाम सियाया) ने पिछले साल मार्च में भी चार शावकों को जन्म दिया था। हालांकि, उनमें से केवल एक शावक ही जीवित बचा।
यादव ने तीन जनवरी को नामीबियाई चीता आशा के तीन शावकों के जन्म की सूचना दी थी। इसके साथ ही कूना राष्ट्रीय उद्यान में शावकों की संख्या अब सात हो गयी है जिनमें से छह का जन्म इसी महीने हुआ है। भारत की चीता परियोजना के लिए यह मिला-जुला महीना है जब छह शावकों का जन्म हुआ और नामीबियाई चीता शौर्या की 16 जनवरी को मौत हो गयी थी।
मार्च 2023 से लेकर अब तक विभिन्न वजहों से कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में शौर्या समेत सात वयस्क चीतों की मौत हो चुकी है। इसके साथ ही केएनपी में तीन शावकों समेत 10 चीतों की मौत हो चुकी है।
केएनपी में मरने वाले सात वयस्क चीतों - तीन मादा और चार नर में साशा, उदय, दक्षा, तेजस, सूरज, धात्री और शौर्या शामिल हैं। पहले छह चीतों की मौत पिछले साल मार्च से अगस्त के दौरान छह महीने में हुई जबकि शौर्या की मौत पिछले सप्ताह हुई।
नामीबियाई चीता ज्वाला के चार में से एक शावक की मौत 23 मई 2023 को और दो अन्य की मौत दो दिन बाद हुई थी। अब केएनपी में कुल चीतों की संख्या 20 है जिसमें छह नर, सात मादा और सात शावक हैं।
ज्वाला और आशा वे चीता हैं जिन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत नामीबिया से भारत लाया गया था। इस परियोजना का उद्देश्य स्वतंत्र भारत में विलुप्त हुई इस बड़ी मांसाहारी प्रजाति की संख्या में वृद्धि करना है।
भारत में सितंबर 2022 को आठ चीतों का पहला बैच लाया गया था। पिछले साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों का दूसरा बैच लाया गया था। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 वयस्क चीतों में से सात की मौत होने पर चीता संरक्षण परियोजना की तीखी आलोचना की गयी थी।
अधिकारियों के अनुसार, भारत में चीतों के निवास के पहले साल में आयी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक गर्मियों और मानसून के दौरान कुछ जानवरों में अप्रत्याशित रूप से सर्दियों से बचाव वाली फर की परत चढ़ना थी क्योंकि अफ्रीका में सर्दी जून से सितंबर में होती है जब भारत में यह गर्मी और मानसून का मौसम होता है।
एक अधिकारी ने बताया कि अत्यधिक गर्मी में फर की परत चढ़ने से चीतों की गर्दन में खरोंचे आयी और आखिरकार उन्हें बैक्टीरिया संक्रमण और सेप्टिसीमिया हो गया जिससे तीन चीतों की मौत हो गयी।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में अतिरिक्त वन महानिदेशक एसपी यादव ने पहले कहा था, ‘‘प्रोजेक्ट चीता के तहत मृत्यु दर अनुमानित सीमा के भीतर है। चीता एक्शन प्लान के अनुसार हमने करीब 50 फीसदी मृत्यु दर का अनुमान जताया था। अभी विदेश से लाए गए 14 चीता जीवित हैं, उसके अलावा भारतीय सरजमीं पर जन्मा एक शावक भी है।’’