2020 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य गांवों को आत्मनिर्भर बनाना है।
Goa News: गोवा में जब 2012 में खनन पर प्रतिबंध लगाया गया था तो मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के सांकेलिम विधानसभा क्षेत्र के सुरला गांव की महिलाओं को सबसे पहले इसके आर्थिक प्रभाव का सामना करना पड़ा था। लौह अयस्क खदानों से घिरे इस गांव की आबादी करीब 4,000 है और प्रतिबंध के बाद यहां के लोग बेरोजगार हो गए। उनके परिवारों को सालों तक मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन राज्य सरकार की ‘स्वयंपूर्ण गोवा योजना’ ने कृषि और सूक्ष्म-कारोबार क्रांति की शुरुआत की। 2020 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य गांवों को आत्मनिर्भर बनाना है।
पूर्व सरपंच विश्रांति सुरलाकर ने गांव की महिलाओं में जागरूकता पैदा करने की पहल की और उन्हें एक साथ लाकर एक हथकरघा केंद्र शुरू किया, जहां पारंपरिक ‘कुनबी साड़ियां’ बुनी जाती हैं।
सुरला के स्वयंपूर्ण मित्र सुभराज कनेकर ने सुनिश्चित किया कि हस्तशिल्प, कपड़ा और जूट विभाग 2020 में इस परियोजना के लिए एक खाली पड़े स्कूल भवन को अपने कब्जे में ले। कनेकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सुरला की महिलाओं ने उनसे कुनबी साड़ियां बुनने के लिए मशीनें खरीदने का अनुरोध किया था।
विभाग ने महिलाओं को मशीनें चलाने का प्रशिक्षण भी दिया। तब से वे साड़ियां, शॉल और अन्य कुनबी उत्पाद बुन रही हैं। उन्होंने कहा, “इन उत्पादों का बहुत बड़ा बाज़ार है।”
‘स्वयंपूर्ण गोवा योजना’ के तहत संतोष मौलिंगकर ने मोती की खेती शुरू की है। मौलिंगकर ने बताया कि इस काम को शुरू करने से पहले उन्होंने पुणे में प्रशिक्षण लिया था। (pti)
(For More News Apart from Goa News: Women in this village of Goa are securing their future with government scheme, Stay Tuned To Rozana Spokesman)