बयान में कहा गया है कि यह ईंधन मानव रहित विमानों और उड़ान प्रशिक्षण केंद्र द्वारा उपयोग किए जाने वाले पिस्टन-इंजन विमानों को ऊर्जा देता है।
मुंबई : राष्ट्रीय तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने विमान ईंधन गैसोलीन का निर्यात शुरू कर दिया है। यह मानव रहित विमानों और छोटे विमानों को ऊर्जा देने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ईंधन है।
कंपनी ने एक बयान में कहा कि जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) से विमान गैस की 80 बैरल की पहली खेप पापुआ न्यू गिनी के लिए भेजी गई थी। भारत अब इस ईंधन के लिए अनुमानित 2.7 अरब डॉलर के विश्व बाजार में प्रवेश कर रहा है। इसे पहली बार आईओसी की वड़ोदरा रिफाइनरी में उत्पादित किया गया।
बयान में कहा गया है कि यह ईंधन मानव रहित विमानों और उड़ान प्रशिक्षण केंद्र द्वारा उपयोग किए जाने वाले पिस्टन-इंजन विमानों को ऊर्जा देता है। यह एक उच्च-ऑक्टेन विमान ईंधन है जो बेहतर प्रदर्शन और गुणवत्ता मानकों के साथ उत्पाद विनिर्देशों को पूरा करता है और आयातित ग्रेड की तुलना में सस्ता पड़ता है।
कंपनी के बयान में आईओसी के चेयरमैन एसएम वैद्य के हवाले से कहा गया है, ''इस विमान गैस का नाम एवी गैस 100 एलएल है और देश में इसके उत्पादन से न केवल विदेशी मुद्रा बचाने में मदद मिलेगी बल्कि ये नवोदित पायलटों के लिए घरेलू उड़ान संस्थानों में प्रशिक्षण को किफायती भी बनाएगा।'' उन्होंने कहा कि दक्षिण अमेरिका, एशिया प्रशांत, पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप में इस ईंधन की भारी मांग है। वैद्य ने कहा कि इंडियन ऑयल का लक्ष्य घरेलू मांग को पूरा करने के बाद इस बाजार में पहुंच स्थापित करना है।