यह गलियारा चीन की महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ का अहम हिस्सा है।
इस्लामाबाद : पाकिस्तान और चीन 60 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपेक) में भागीदारी के लिए तीसरे पक्षों को आमंत्रित करने पर राजी हो गये हैं। पाकिस्तान के एक शीर्ष राजनयिक ने यह जानकारी दी। यह गलियारा चीन की महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ का अहम हिस्सा है।
पाकिस्तान की सरकारी समाचार एजेंसी ‘एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान’ ने बताया कि चीन में पाकिस्तान के राजदूत मोइनुल हक ने चीन के आधिकारिक टेलीविजन ‘सीसीटीवी’ को रविवार को बताया कि दोनों देश अब सीपेक का अफगानिस्तान तक विस्तार करने पर काम कर रहे हैं। भारत, चीन में शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह तक जोड़ने वाले सीपेक का कड़ा विरोध करता है क्योंकि यह, कश्मीर के उस हिस्से से होकर गुजरता है जिस पर पाकिस्तान का कब्जा है।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को शिनजियांग प्रांत से जोड़ने वाला सीपेक चीन की अरबों रुपये की महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ (बीआरआई) परियोजना का हिस्सा है। बीआरआई को दुनियाभर में चीन द्वारा वित्त पोषित बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं के साथ विदेशों में अपना प्रभाव बढ़ाने के बीजिंग के प्रयास के रूप में देखा जाता है।पाकिस्तानी राजदूत ने कहा कि सीपेक देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए ‘‘परिवर्तनकारी और बहुत महत्वपूर्ण’’ रहा है।
चीन में पाकिस्तान के राजदूत मोइनुल हक ने कहा, ‘‘अब, हम दोनों इस परियोजना में शामिल होने के लिए तीसरे पक्षों को आमंत्रित करने पर सहमत हो गए हैं। हम अब इसका अफगानिस्तान तक विस्तार करने पर काम कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि चीन कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ई-वाणिज्य और हरित प्रौद्योगिकियों समेत कई प्रौद्योगिकियों में एक वैश्विक नेता है। उन्होंने कहा, ‘‘इसे दूसरे चरण के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक के रूप में पहचाना गया है और हमने सहयोग के लिए संयुक्त कार्यकारी समूहों का गठन किया है।’’ हक ने कहा कि चीन-पाकिस्तान डिजिटल गलियारा, हरित गलियारा और स्वास्थ्य गलियारा जैसे नए गलियारे भी शुरू किए गए हैं ताकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में पैदा हो रहे अवसरों का लाभ उठाया जा सकें।
भारत ने पहले ही तथाकथित सीपेक परियोजनाओं में तीसरे देशों की भागीदारी की चीन और पाकिस्तान की योजना पर अपना विरोध जताया है।
विदेश मंत्रालय ने पिछले साल जुलाई में कहा था, ‘‘किसी भी पक्ष द्वारा सीधी ऐसी कोई भी कार्रवाई भारत की संप्रभुत्ता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है। भारत तथाकथित सीपेक में परियोजनाओं का दृढ़ता से और लगातार विरोध करता है जो भारतीय क्षेत्र से गुजरता है जिस पर पाकिस्तान ने गैरकानूनी रूप से कब्जा जमा लिया है।’’ चीन में पाकिस्तान के राजदूत मोइनुल हक ने कहा कि अभी तक मुख्य ध्यान ऊर्जा क्षेत्र में रहा है क्योंकि जब सीपेक की शुरुआत हुई थी तो पाकिस्तान ऊर्जा की भारी किल्लत का सामना कर रहा था।. उन्होंने कहा कि आर्थिक संबंध, व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के साथ ही दोनों देश संस्कृति, शिक्षा और पर्यटन में सहयोग पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।