यह बैठक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रमकता को लेकर जारी वैश्विक चिंताओं की पृष्ठभूमि में हुई है।
New Delhi: क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों ने शुक्रवार को एक मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति इस चतुष्पक्षीय संवाद समूह की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि क्वाड कानून के शासन, संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के सिद्धांतों का पुरजोर समर्थन करता है।
क्वाड- भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का एक समूह है। सभी चारों देश लोकतांत्रिक हैं और निर्बाध समुद्री व्यापार और सुरक्षा के साझा हित का समर्थन करते हैं। इस समूह का उद्देश्य ‘‘मुक्त, स्पष्ट और समृद्ध’’ हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करना तथा उसका समर्थन करना है। समूह के विदेश मंत्रियों ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की अध्यक्षता में नयी दिल्ली में आयोजित एक बैठक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति की व्यापक समीक्षा की।
इस बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, उनके जापानी समकक्ष योशिमाशा हयाशी और ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पेनी वॉन्ग शामिल हुए।
यह बैठक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रमकता को लेकर जारी वैश्विक चिंताओं की पृष्ठभूमि में हुई है।
क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों ने एक संयुक्त बयान में कहा, “हमारी आज की बैठक एक मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करने के लिए क्वाड की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है, जो समावेशी और लचीला है।”
बयान में कहा गया है, “हम स्वतंत्रता, कानून के शासन, संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता, समुद्री तथा हवाई परिवहन की आजादी और धमकी या बल प्रयोग का सहारा लेने के बजाय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के सिद्धांतों का दृढ़ता से समर्थन करते हैं।”
इसमें कहा गया है, “हम यथास्थिति को बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास का विरोध करते हैं। ये सभी चीजें हिंद-प्रशांत सहित अन्य क्षेत्रों में शांति, स्थिरता और समृद्धि बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।”
बयान में चारों सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा कि क्वाड क्षेत्रीय और वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत के रूप में काम कर रहा है और यह अपने सकारात्मक और रचनात्मक एजेंडे के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र की प्राथमिकताओं द्वारा निर्देशित होगा। इसमें कहा गया है कि क्वाड के जरिये सदस्य देश स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा अपनाने, महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों, बुनियादी ढांचे और संपर्क जैसी समकालीन चुनौतियों पर व्यावहारिक सहयोग के माध्यम से क्षेत्र का समर्थन करना चाहते हैं।
बयान में स्थायी, पारदर्शी और निष्पक्ष कर्ज एवं वित्तपोषण प्रक्रियाओं के माध्यम से ऋण संकट को दूर करने के बारे में भी बात की गई है।
इसमें कहा गया है, “हम इस बात से सहमत हैं कि नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर सहित अंतरराष्ट्रीय कानून और सभी राज्यों की संप्रभुता, राजनीतिक स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों में निहित है।”
बयान में कहा गया है, “हम अपने भागीदारों के परामर्श से और बहुपक्षीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को एकतरफा रूप से बदलने के प्रयासों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”.