बुधवार को आदिवासियों के प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़की थी।
इंफाल: आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों में झड़प से भड़की हिंसा पर मणिपुर सरकार ने गुरुवार को एक बड़ा आदेश जारी किया। दरहसल मणिपुर सरकार ने दंगाईयों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया है. बता दें कि हिंसाग्रस्त इलाकों में धारा 144 लागू है। राज्य में अगले 5 दिनों के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। वहीं अब पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने मणिपुर जाने वाली सभी ट्रेनों को रोक दिया गया है।
एनएफ रेलवे के सीपीआरओ सब्यसाची डे ने एएनआई से कहा कि स्थिति में सुधार होने तक कोई ट्रेन मणिपुर में प्रवेश नहीं कर रही है। मणिपुर सरकार द्वारा ट्रेन की आवाजाही रोकने की सलाह के बाद यह फैसला लिया गया है।
बता दें कि बुधवार को आदिवासियों के प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़की थी। इसके बाद 8 जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया। आर्मी और असम राइफल्स की 55 टुकड़ियों को तैनात किया गया है। 9000 लोगों को राहत कैंपों में शिफ्ट किया गया।
गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से फोन पर बात कर हालात की जानकारी ली। बीरेन सिंह ने गुरुवार को एक वीडियो मैसेज जारी कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी।
ऐसे भड़की हिंसा, आदिवासी और गैर आदिवासी समुदाय भिड़े
बता दें कि बुधवार को ऑल इंडिया ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन ने ट्राइबल सॉलिडेरटी मार्च बुलाया था। इसी दौरान आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों में झड़प हो गई। आदिवासी समुदाय उस मांग का विरोध कर रहा था, जिसमें डिमांड की जा रही है कि गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को शेड्यूल ट्राइब (ST) का दर्जा दिया जाए।
मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि मैतेई समुदाय की डिमांड पर विचार करे और 4 महीने के भीतर केंद्र को रिकमेंडेशन भेजे। इसी आदेश के बाद आदिवासी और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा शुरू हो गई।
बता दें कि आदिवासियों के मार्च में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। इसी दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा भड़क उठी। हालात को कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने कई राउंड आंसू गैस के गोले भी दागे, लेकिन हिंसा नहीं रुकी।