अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर न्यायालय ने फैसला रखा सुरक्षित

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अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर न्यायालय ने फैसला रखा सुरक्षित
Published : Sep 5, 2023, 6:44 pm IST
Updated : Sep 5, 2023, 6:44 pm IST
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 Supreme Court’s 5-judge bench reserves verdict on Article 370 abrogation
Supreme Court’s 5-judge bench reserves verdict on Article 370 abrogation

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 16 दिन की मैराथन सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 16 दिन की मैराथन सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं। न्यायालय ने सुनवाई के अंतिम दिन वरिष्ठ अधिवक्ताओं- कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह, दुष्यन्त दवे और अन्य की दलीलें सुनीं। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि याचिकाकर्ताओं या प्रतिवादियों की ओर से पेश कोई वकील लिखित अभिवेदन दाखिल करना चाहता है तो वह अगले तीन दिन में ऐसा कर सकता है। इसने कहा कि अभिवेदन दो पृष्ठों से अधिक का नहीं होना चाहिए।

पिछले 16 दिन में सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने केंद्र और हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ताओं- हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरि और अन्य को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का बचाव करते हुए सुना। वकीलों ने प्रावधान को निरस्त करने के केंद्र के 5 अगस्त, 2019 के फैसले की संवैधानिक वैधता, पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने वाले जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की वैधता, 20 जून, 2018 को जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाए जाने, तथा 19 दिसंबर, 2018 को राष्ट्रपति शासन लगाए जाने और 3 जुलाई, 2019 को इसे विस्तारित किए जाने सहित विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखे।

अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को 2019 में एक संविधान पीठ को भेजा गया था। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के चलते पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था।

 

Location: India, Delhi, New Delhi

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