पोर्ट के अनुसार 2010-2012 में कुछ समय के लिए राजस्थान के बाघ एमएनपी के आसपास घूमते थे।
भोपाल : मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में बाघ विहीन हो चुके माधव राष्ट्रीय उद्यान (एमएनपी) में 10 मार्च से राज्य के अन्य बाघ अभयारण्यों से एक बाघ और दो बाघिन को स्थानांतरित किया जाएगा। वन विभाग के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। शिवपुरी जिले की सीमाएं श्योपुर जिले से लगती है जहां कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) है। देश में चीतों को बसाने की योजना के तहत केएनपी में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीतों को लाया गया है।
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुभरंजन सेन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मध्य प्रदेश के विभिन्न बाघ अभयारण्यों से एक बाघ और दो बाघिन को एमएनपी में स्थानांतरित किया जाएगा जो कि 350 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। उन्होंने बताया कि यह स्थानांतरण 10 मार्च से शुरु होगा।
सेन ने कहा यह तीसरी बार है जब मध्य प्रदेश वन विभाग एक वन्यजीव अभयारण्य में बाघ को फिर से लाने जा रहा है। उन्होंने कहा कि एमएनपी में वर्तमान में कोई बाघ नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे पहले पन्ना बाघ अभयारण्य और सागर के नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य में सफलतापूर्वक बाघों को बसाया जा चुका है।
वन अधिकारियों के अनुसार एमएनपी में बाघों के लिए अच्छा शिकार उपलब्ध है इसलिए बाघों को यहां फिर से बसाने के कार्यक्रम को केंद्र द्वारा मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि संभवत: बाघों को पन्ना, सतपुड़ा और बांधवगढ़ के बाघ अभयारण्य से बाघों को एमएनपी में स्थानांतरित किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि बाघों को जंगल में छोड़ने से पहले एमएनपी में उन्हें कुछ समय के लिए अलग बाड़े में रखा जाएगा।.
उन्होंने कहा, ‘‘इन बाघों में रेडियो कॉलर लगाये जाएंगे। बाघों को जंगल में छोड़ने के बाद इन पर नजर रखने के लिए तीन दलों का गठन किया गया है।’’ सेन ने कहा कि 1970 में एमएनपी में बाघों की काफी अच्छी संख्या थी। स्थानीय लोगों के मुताबिक 2010 के बाद से एमएनपी और उसके आसपास के इलाके में कोई बाघ नहीं देखा गया है।
रिपोर्ट के अनुसार 2010-2012 में कुछ समय के लिए राजस्थान के बाघ एमएनपी के आसपास घूमते थे। वन्यजीव विशेषज्ञों ने कहा कि एमएनपी में मुख्य तौर पर राजघरानों द्वारा शिकार के कारण बाघ खत्म हो गए।