भारत के कुछ हिस्सों से लिए हल्दी के नमूनों में लेड (सीसे) की मात्रा तय मानकों से 200 गुना अधिक पाई गई है।
Amount of lead found in turmeric 200 times more than standard News In Hindi: भारत एक ऐसा देश है जो तरह-तरह के मसालों के लिए भी दुनियां भर में मशहूर है. यहां का खाना इन मसालों के बिना तो अधूरा ही है. कुछ मसाले तो ऐसे हैं जो हर एक सब्जी में लाजमी ही डाली जाती है. हल्दी भी उन मसालो में से एक है. जो हर एक व्यंजन में डाला जाता है. ऐसे में अगर आपको पता चले कि जो हल्दी आप रोज़ाना ही खाते हैं वो आपको सेहत के लिए हानिकारक है तो आपका रिएक्शन क्या होगा.
बता दे कि भारत के कुछ हिस्सों से लिए हल्दी के नमूनों में लेड (सीसे) की मात्रा तय मानकों से 200 गुना अधिक पाई गई है। यहां तक कि पाकिस्तान और नेपाल में बेची जा रही हल्दी में सीसे की मात्रा तय मानकों से कई गुना अधिक है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है।
यह खुलासा भारत और अमेरिका के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में किया गया है। शोधकर्ताओं ने दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल के 23 प्रमुख शहरों से इकट्ठा किए गए हल्दी के नमूनों का विश्लेषण किया है। इस दौरान हल्दी के कुल 356 नमूने एकत्र किए गए।
अमेरिका में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन, हूवर इंस्टिट्यूशन, प्योर अर्थ और नई दिल्ली स्थित फ्रीडम एम्प्लॉयबिलिटी अकादमी के शोधकर्ताओं ने 180 नमूने हल्दी की जड़ों के और 176 नमूने हल्दी पाउडर से लिए थे। इसमें से 14 फीसदी नमूनों में लेड का स्तर दो माइक्रोग्राम प्रति ग्राम से अधिक था, जबकि सात फीसदी नमूनों में लेड का स्तर भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा जारी मानकों से कहीं ज्यादा था। भारत के पटना और पाकिस्तान के कराची तथा पेशावर से लिए हल्दी के नमूनों में सीसे का स्तर 1,000 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम से अधिक पाया गया, यानी इनमें लेड का स्तर तय मानकों से करीब 200 गुना अधिक था।
10 माइक्रोग्राम है मानक
लखनऊ, चंडीगढ़, भुवनेश्वर, अमृतसर, चेन्नई और गुवाहाटी से लिए नमूनों में भी लेड की मात्रा एफएसएसएआई द्वारा तय सीमा से अधिक पाई गई। एफएसएसएआई अधिनियम, 2011 के मुताबिक साबुत और पिसी हल्दी में लेड की तय स्वीकार्य सीमा 10 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम है। गुवाहाटी से लिए नमूनों में लेड का अधिकतम स्तर 127 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम रहा कराची से लिए गए हल्दी के आधे नमूनों में लेड मौजूद था। इसकी औसत मात्रा तीन माइक्रोग्राम प्रति ग्राम रही। जबकि अधिकतम स्तर 2,936 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम तक था।
पॉलिश की गई हल्दी की जड़ें सबसे अधिक प्रदूषित
शोधकर्ताओं का कहना है कि पॉलिश की गई हल्दी की जड़ें सबसे अधिक प्रदूषित पाई गईं। हल्दी को पीला और चमकदार बनाने के लिए लेड क्रोमेट नामक जहरीले केमिकल का उपयोग किया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हैं।
एफएसएसएआई द्वारा जारी नियमों के अनुसार हल्दी में लेड क्रोमेट, स्टार्च या किसी भी अन्य तरह का रंग नहीं होना चाहिए। शीषे की वजह से दुनिया में सालाना लगभग 55.5 लाख लोगों की मौत हो जाती है। यह एक तरह का हैवी मेटल है जो शरीर के लिए अत्यधिक हानिकारक है।
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