अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।’’
New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने भ्रष्टाचार के एक मामले में भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के एक अधिकारी को गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा दी गई अग्रिम जमानत को खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि भ्रष्टाचार समाज के लिए एक गंभीर खतरा है और इससे सख्ती से निपटना चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि भ्रष्टाचार न केवल सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाता है, बल्कि सुशासन को भी प्रभावित करता है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की पीठ ने आईआरएस अधिकारी संतोष करनानी को उच्च न्यायालय से मिली अग्रिम जमानत केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर रद्द कर दी।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘कथित अपराध की प्रकृति और गंभीरता को उच्च न्यायालय द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए था। भ्रष्टाचार हमारे समाज के लिए एक गंभीर खतरा है और इससे सख्ती से निपटना चाहिए। यह न केवल सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाता है, बल्कि सुशासन को भी प्रभावित करता है।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि आम आदमी सामाजिक कल्याण योजनाओं के लाभ से वंचित है और सबसे ज्यादा प्रभावित है। अदालत ने कहा, ‘‘यह ठीक ही कहा गया है कि भ्रष्टाचार एक ऐसा पेड़ है, जिसकी शाखाएं हर जगह फैल जाती हैं। इसलिए और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।’’