Maoist links case: SC ने रद्द किया डीयू के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा को बरी करने के बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश, होगी सुनवाई

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Maoist links case: SC ने रद्द किया डीयू के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा को बरी करने के बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश, होगी सुनवाई
Published : Apr 19, 2023, 1:31 pm IST
Updated : Apr 19, 2023, 1:31 pm IST
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Maoist links case: SC sets aside Bombay High Court's order acquitting ex-DU professor Saibaba
Maoist links case: SC sets aside Bombay High Court's order acquitting ex-DU professor Saibaba

चार महीने के भीतर मामले पर गुण-दोष के आधार पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश भी दिया।

New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने माओवादियों से संबंध के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को बुधवार को रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय को चार महीने के भीतर मामले पर गुण-दोष के आधार पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश भी दिया।

न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को साईबाबा की अपील और अन्य अभियुक्तों की अपील उसी पीठ के समक्ष नहीं भेजने का निर्देश दिया, जिसने उन्हें आरोपमुक्त किया था और मामले की सुनवाई किसी अन्य पीठ द्वारा कराने को कहा।

न्यायालय ने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधों को मंजूरी देने सहित कानून से संबंधित सभी प्रश्नों पर उच्च न्यायालय द्वारा फैसले किए जाने का विकल्प खुला रहेगा।  शीर्ष अदालत ने 15 अक्टूबर को इस मामले में साईबाबा और अन्य को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी। शीर्ष अदालत में महाराष्ट्र सरकार का पक्ष वकील अभिकल्प प्रताप सिंह ने रखा और साईबाबा की ओर से वकील आर. बसंत पेश हुए।

साईबाबा की 2014 में गिरफ्तारी के बाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल 14 अक्टूबर को उन्हें व अन्य को मामले में बरी कर जेल से रिहा करने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा कि गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत मामले में आरोपी के खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी देने का आदेश ‘‘कानून की दृष्टि से गलत एवं अवैध’’ था।

अदालत ने साईबाबा के अलावा महेश करीमन तिर्की, पांडु पोरा नरोते (दोनों किसान), हेम केशवदत्त मिश्रा (छात्र), प्रशांत सांगलीकर (पत्रकार) और विजय तिर्की (मजदूर) को भी बरी कर दिया था। विजय तिर्की को 10 साल की जेल की सजा सुनायी गयी, जबकि बाकी लोगों को उम्रकैद की सजा दी गयी थी। नरोते का निधन हो चुका है।

Location: India, Delhi, New Delhi

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