याचिका में देशभर में नशा मुक्ति केंद्रों के विनियमन या उनके प्रबंधन का अनुरोध किया गया है।
New Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट ने समाज की बेहतरी तथा जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार से मादक पदार्थ के दुरुपयोग से निपटने के प्रयास जारी रखने तथा इसमें दृढ़ बने रहने को कहा।
हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को एक जनहित याचिका में उठाए मुद्दों से निपटने में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर संज्ञान लिया। इस याचिका में देशभर में नशा मुक्ति केंद्रों के विनियमन या उनके प्रबंधन का अनुरोध किया गया है। जनहित याचिका में कहा गया है कि दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक भारत में नशे की लत के लाखों पीड़ित हैं। 2013 में दायर इस याचिका में कहा गया है कि मादक पदार्थ और शराब की लत चिंता का बड़ा विषय है क्योंकि यह जन स्वास्थ्य और समाज के ताने-बाने को क्षति पहुंचाता है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरुला की पीठ ने कहा कि सरकार ने यहां उठाए गए मुद्दों से निपटने के प्रति जागरूकता दिखायी है।
पीठ ने कहा, ‘‘सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय तथा एम्स के राष्ट्रीय व्यसन उपचार केंद्र (एनडीडीटीसी) द्वारा किया गया सर्वेक्षण और नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना बनाना सरकार की मादक पदार्थ के दुरुपयोग और नशे की लत से निपटने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।’’
इसके साथ ही अदालत ने याचिका का निस्तारण कर दिया। उच्च न्यायालय ने इस मामले को अदालत के संज्ञान में लाने के लिए याचिकाकर्ता राजीव बूलचंद जैन के योगदान की भी प्रशंसा की जिनका याचिका के लंबित रहने के दौरान निधन हो गया.