तीनों याचिकाकर्ता ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत पहली कक्षा में स्कूल में दाखिला दिए जाने का अनुरोध कर रहे हैं।
New Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक निजी स्कूल को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के तीन छात्रों को दाखिला देने का निर्देश देते हुए कहा कि वंचित समूहों और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के छात्रों को जीवन में आगे बढ़ने तथा अन्य बच्चों के साथ स्कूलों में पढ़ाई करने के समान अवसर दिए जाने चाहिए ताकि वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।
उच्च न्यायालय ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस)/वंचित समूह (डीजी) के तहत उपलब्ध सीमित सीटों को व्यर्थ जाने नहीं दिया जा सकता क्योंकि इस आरक्षण के तहत प्रत्येक रिक्त सीट समाज के गरीब तबके के बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित किया जाना बताती है।
न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने कहा, ‘‘ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत किसी बच्चे को दाखिला देने से इनकार करना ऐसे बच्चों को संविधान के अनुच्छेद 21ए और शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के तहत मिले अधिकारों का उल्लंघन होगा।’’
अदालत का आदेश तीन बच्चों द्वारा दायर अवमानना याचिका पर आया जिसमें उन्होंने दिसंबर 2021 को दिए आदेश का अनुपालन किए जाने का अनुरोध किया है जब न्यायालय ने एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल को याचिकाकर्ताओं को ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत दाखिला देने का निर्देश दिया था।
तीनों याचिकाकर्ता ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत पहली कक्षा में स्कूल में दाखिला दिए जाने का अनुरोध कर रहे हैं। उनका नाम दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय द्वारा निकाले गए ड्रॉ में आया था और उन्हें दाखिले के लिए प्रतिवादी स्कूल आवंटित किया गया था।.
हालांकि, स्कूल द्वारा उठायी गई विभिन्न आपत्तियों के आधार पर उन्हें दाखिला नहीं दिया गया। तीन में से एक छात्र के संबंध में स्कूल ने दावा किया कि सत्यापन के दौरान बच्चे के घर का पता नहीं मिला।
इस दावे पर न्यायमूर्ति पुष्करणा ने कहा कि अदालत इस बात पर अपनी आंख नहीं मूंद सकती कि बच्चा समाज में एक वंचित समूह से है और किसी ग्रामीण इलाके और किराये के घर में रह रहे बच्चे को महज इस आधार पर दाखिला दिए जाने से इनकार नहीं किया जा सकता कि सत्यापन के दौरान उसके घर का पता नहीं मिला।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘यह अदालत इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि समाज के वंचित समूहों को जीवन में आगे आने के लिए समान अवसर दिए जाए। इसमें वंचित समूहों और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के छात्रों को अन्य छात्रों के साथ स्कूलों में पढ़ने का अवसर देना शामिल है ताकि वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।’’
उसने कहा, ‘‘अगर ऐसे आवेदकों को इस तरह के अनुचित आधार पर ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत दाखिले देने से इनकार किया जाता है तो ईडब्ल्यूएस/डीजी के तहत उपलब्ध सीमित सीटें व्यर्थ हो जाएंगी।’’ अदालत के मुताबिक, शिक्षा निदेशालय ने यह स्पष्ट किया है कि संबंधित स्कूल में याचिकाकर्ताओं को आवंटित सीटें ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत किसी अन्य बच्चे को आवंटित नहीं की गयीं।
उच्च न्यायालय ने तीनों छात्रों को ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत पहली कक्षा में दाखिले के लिए स्कूल का रुख करने को कहा और स्कूल को याचिकाकर्ता छात्रों को मौजूदा अकादमिक वर्ष 2023-24 के लिए दाखिला देने का निर्देश दिया।