अहमदाबाद से लंदन जा रहा एअर इंडिया का बोइंग 787-8 विमान 12 जून को टेकऑफ के कुछ ही देर बाद एक मेडिकल हॉस्टल की इमारत से टकरा गया था।
Ahmedabad Plane Crash: एयर इंडिया विमान दुर्घटना की स्वतंत्र, अदालत की निगरानी में जांच की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (PIL)पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर पायलटों को दोषी ठहराना "गैर-ज़िम्मेदाराना" है।
"अगर कल कोई गैर-ज़िम्मेदाराना तरीके से कह दे कि पायलट ए या बी की गलती थी, तो परिवार को नुकसान होगा... अगर अंतिम जांच रिपोर्ट में कोई गलती नहीं पाई जाती है तो क्या होगा?" सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूछा। अदालत ने जांच पूरी होने तक गोपनीयता बनाए रखने के महत्व पर ज़ोर दिया।
अदालत गैर-सरकारी संगठन 'सेफ्टी मैटर्स फ़ाउंडेशन' की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण के सवालों का जवाब दे रही थी, जिन्होंने बताया कि अमेरिकी प्रकाशन द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने केंद्र को प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपे जाने से पहले ही दुर्घटना की जांच पर एक खबर प्रकाशित कर दी थी।
भूषण ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ को बताया, "फिर सरकार ने आधिकारिक तौर पर रिपोर्ट जारी की, और हर कोई यह कहने लगा कि यह पायलट की गलती थी। ये बहुत अनुभवी पायलट थे, फिर भी खबर से पता चलता है कि पायलट आत्महत्या करने वाला था और उसने ईंधन स्विच बदल दिया था।"
न्यायमूर्ति कांत ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण था।" उन्होंने मीडिया रिपोर्टों को, जिनमें कहा गया था कि एक पायलट ने आत्महत्या की थी, "बेहद गैर-ज़िम्मेदाराना" रिपोर्टिंग बताया।
"दुर्भाग्य से, कभी-कभी जब ऐसी त्रासदी होती है, तो इसका फ़ायदा प्रतिद्वंद्वी विमान कंपनियां उठा लेती हैं," पीठ ने आगे कहा और पारदर्शी, निष्पक्ष और त्वरित जाँच के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को नोटिस जारी किया।
पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि एयरबस या बोइंग जैसे विमान निर्माताओं को दोष नहीं दिया जा सकता, क्योंकि वे तर्क दे सकते हैं कि विमान का उचित रखरखाव और मंज़ूरी दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "कोई भी एयरलाइन के कर्मचारियों को दोष देना शुरू कर सकता है... किसी को भी अफ़वाहें फैलाने या स्थिति को गलत तरीके से पेश करने की इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए।"
पीठ ने यह भी कहा कि भले ही याचिकाकर्ता की निष्पक्ष जांच की मांग जायज़ हो, लेकिन इस स्तर पर सभी निष्कर्षों को सार्वजनिक करने से जांच में बाधा उत्पन्न होगी।
सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया है कि विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो ने 12 जुलाई को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की, जिसमें दुर्घटना का कारण "ईंधन कटऑफ स्विच" को "रन" से "कटऑफ" में स्थानांतरित करना बताया गया, जिससे पायलट की गलती का संकेत मिलता है।
इसमें आरोप लगाया गया है कि रिपोर्ट में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई है, जिसमें डिजिटल फ़्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR) का पूरा आउटपुट, टाइम स्टैम्प के साथ कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) की पूरी प्रतिलिपियाँ और इलेक्ट्रॉनिक एयरक्राफ्ट फ़ॉल्ट रिकॉर्डिंग (EAFR) डेटा शामिल हैं।
अहमदाबाद से लंदन जा रहा एअर इंडिया का बोइंग 787-8 विमान 12 जून को टेकऑफ के कुछ ही देर बाद एक मेडिकल हॉस्टल की इमारत से टकरा गया था। इसमें 270 लोगों की मौत हो गई थी। सुमीत सभरवाल फ्लाइट के मुख्य पायलट और क्लाइव कुंदर को-पायलट थे।
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