अनुच्छेद 370 को निरस्त करने में कोई ‘‘संवैधानिक धोखाधड़ी’’ नहीं हुई: केंद्र ने SC से कहा

खबरे |

खबरे |

अनुच्छेद 370 को निरस्त करने में कोई ‘‘संवैधानिक धोखाधड़ी’’ नहीं हुई: केंद्र ने SC से कहा
Published : Aug 25, 2023, 11:36 am IST
Updated : Aug 25, 2023, 11:36 am IST
SHARE ARTICLE
There was no
There was no "constitutional fraud" in abrogation of Article 370: Center to SC

मामले पर अब 28 अगस्त को सुनवाई फिर शुरू होगी।

New Delhi:  सुप्रीम कोर्ट  में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के समर्थन में अपनी दलीलें शुरू करते हुए केंद्र के शीर्ष विधि अधिकारियों ने कहा कि पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधान को रद्द करने में कोई ‘‘संवैधानिक धोखाधड़ी’’ नहीं हुई। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने उनकी दलीलों पर गौर करते हुए कहा कि उन्हें निरस्त करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया को उचित ठहराना होगा क्योंकि अदालत ऐसी स्थिति नहीं बना सकती है ‘‘जहां अंत साधन को उचित ठहराता है।’’

अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का विरोध करने वाले याचिकाकर्ता इस बात पर जोर देते रहे हैं कि इस प्रावधान को निरस्त नहीं किया जा सकता था, क्योंकि जम्मू कश्मीर संविधान सभा का कार्यकाल, जिसकी सहमति इस तरह का कदम उठाने से पहले आवश्यक थी, 1957 में पूर्ववर्ती राज्य का संविधान का मसौदा तैयार करने के बाद समाप्त हो गया था। उन्होंने कहा है कि संविधान सभा के लोप हो जाने से अनुच्छेद 370 को स्थायी दर्जा मिल गया।

अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने जब यह कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना आवश्यक था और अपनाई गई प्रक्रिया में कोई खामियां नहीं हैं, तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां अंत साधन को उचित ठहराता हो। साधन को साध्य के अनुरूप होना चाहिए।’’ केंद्र की ओर से बहस शुरू करने वाले वेंकटरमणी ने कहा, जैसा कि आरोप लगाया गया है, प्रावधान को निरस्त करने में कोई संवैधानिक धोखाधड़ी नहीं हुई है। वेंकटरमणी ने पीठ से कहा, ‘‘उचित प्रक्रिया का पालन किया गया। कोई गलत काम नहीं हुआ और कोई संवैधानिक धोखाधड़ी नहीं हुई, जैसा कि दूसरे पक्ष ने आरोप लगाया है। कदम उठाया जाना आवश्यक था। उनका तर्क त्रुटिपूर्ण और समझ से परे है।’’

पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि आखिरकार उन्हें यह बताना होगा कि अनुच्छेद 370 के खंड 2 में मौजूद ‘‘संविधान सभा’’ शब्द को पांच अगस्त 2019 को ‘‘विधानसभा’’ शब्द से कैसे बदल दिया गया, जिस दिन अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म किया गया।

प्रधान न्यायाधीश ने मेहता से कहा, ‘‘आपको यह तर्क देना होगा कि यह एक संविधान सभा नहीं बल्कि अपने मूल रूप में एक विधानसभा थी। आपको यह जवाब देना होगा कि यह अनुच्छेद 370 के खंड 2 के साथ कैसे मेल खाएगा जो विशेष रूप से कहता है कि संविधान सभा का गठन संविधान बनाने के उद्देश्य से किया गया था।’’ सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वह अदालत को संतोषजनक जवाब देने का प्रयास करेंगे और अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में बताएंगे कि यह कैसे संवैधानिक रूप से स्वीकार्य है।

पांच अगस्त, 2019 को, नए सम्मिलित अनुच्छेद 367(4)(डी) ने ‘‘राज्य की संविधान सभा’’ कथन को ‘‘राज्य की विधान सभा’’ से प्रतिस्थापित करके अनुच्छेद 370(3) में संशोधन किया।

मेहता ने कहा, ‘‘मैं दिखाऊंगा कि अनुच्छेद 370 वर्ष 2019 तक कैसे काम करता था। कुछ चीजें वास्तव में चौंकाने वाली हैं और मैं चाहता हूं कि अदालत इसके बारे में जाने। क्योंकि व्यावहारिक रूप से दो संवैधानिक अंग-राज्य सरकार और राष्ट्रपति- एक-दूसरे के परामर्श से संविधान के किसी भी भाग में, जैसे चाहें संशोधन कर सकते हैं और उसे जम्मू-कश्मीर पर लागू कर सकते हैं।’’ उदाहरण के तौर पर, मेहता ने कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना को 1954 में अनुच्छेद 370(1)(बी) के तहत संविधान आदेश के माध्यम से जम्मू और कश्मीर पर लागू किया गया था।

मेहता ने कहा, ‘‘इसके बाद 1976 में 42वां संशोधन हुआ और भारतीय संविधान में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द जोड़े गए, लेकिन पांच अगस्त, 2019 तक इसे (जम्मू कश्मीर पर) लागू नहीं किया गया। जम्मू कश्मीर के संविधान में न तो ‘समाजवादी’ और न ही ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द था।’’

मेहता ने यह भी कहा कि वह दिखाएंगे कि अगर अनुच्छेद 370 को निरस्त नहीं किया गया होता तो इसका कितना ‘विनाशकारी प्रभाव’ हो सकता था। मेहता ने कहा, ‘‘इस अदालत ने ठीक ही कहा है कि अंत साधन को उचित नहीं ठहरा सकता, लेकिन मैं साधनों को भी उचित ठहराऊंगा। वे संवैधानिक रूप से स्वीकार्य हैं।’’ प्रधान न्यायाधीश ने केंद्र से गृह मंत्रालय के पास मौजूद मूल कागजात के अलावा उन 562 रियासतों में से राज्यों की एक सूची प्रस्तुत करने को कहा, जिनका भारत में विलय समझौते पर हस्ताक्षर किए बिना हुआ था।

मामले पर अब 28 अगस्त को सुनवाई फिर शुरू होगी। अनुच्छेद 370 और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों-जम्मू कश्मीर, तथा लद्दाख के रूप में बांटने के जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को 2019 में एक संविधान पीठ को भेजा गया था।

Location: India, Delhi, New Delhi

SHARE ARTICLE

ROZANASPOKESMAN

Advertisement

 

ISHRAE ने बताया कि पर्यावरण को बचाने के लिए कौन से A.C का करें इस्तेमाल

12 Feb 2025 1:13 PM

Giani Harpreet Singh News :''बादल परिवार या बादल की पार्टी ने पंजाब को बचाने का ठेका नहीं लिया''

12 Feb 2025 1:11 PM

Kaka Kotra Interview: किसानों पर विवादित टिप्पणी करने वालों को काका सिंह कोटड़ा का जवाब

12 Feb 2025 1:09 PM

ਦਿੱਲੀ 'ਚ ਜਿੱਤ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਬੈਂਡ-ਵਾਜਿਆਂ ਤੇ ਢੋਲਾਂ 'ਤੇ ਪੈ ਰਹੇ ਭੰਗੜੇ, ਜ਼ੋਰਾਂ ਨਾਲ ਮਨਾਈ ਜਾ ਰਹੀ ਖ਼ੁਸ਼ੀ

08 Feb 2025 6:00 PM

Delhi Election Results 2025 Live Updates : ਭਾਜਪਾ ਦਫ਼ਤਰ ਚ ਟੀਵੀ ਨਾਲ ਚਿਪਕੇ ਬੈਠੇ ਆਗੂ !

08 Feb 2025 5:59 PM

"ਦਿੱਲੀ 'ਚ ਕਈ ਵਾਅਦੇ ਆ ਜਿਹੜੇ 'AAP' ਨੇ ਪੂਰੇ ਨਹੀਂ ਕੀਤੇ", ਸੁਣੋ Parvinder Singh Brar ਨੇ ਕੀ ਕਿਹਾ

08 Feb 2025 5:58 PM