
कहा गया था कि केवल लड़की के ब्रेस्ट पकड़ना और उसके पायजामे के नाड़े को तोड़ना रेप या अटेम्प्ट टु रेप नहीं है।
Supreme Court on Allahabad High Court Judgement Controversy News In Hindi: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार (26 मार्च) को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश में की गई टिप्पणियों पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि केवल लड़की के ब्रेस्ट पकड़ना और उसके पायजामे के नाड़े को तोड़ना रेप या अटेम्प्ट टु रेप नहीं है।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि यह कहना दुखद है कि उच्च न्यायालय के आदेश में की गई कुछ टिप्पणियां पूरी तरह असंवेदनशील और अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र और यूपी सरकार को जारी किया नोटिस
पीठ ने केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर उच्च न्यायालय के 17 मार्च के आदेश पर स्वत: संज्ञान लेते हुए शुरू की गई कार्यवाही में जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने विवादास्पद आदेश पर स्वत: संज्ञान लिया है।
बता दे कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 17 मार्च को फैसला सुनाया था कि केवल स्तन पकड़ना और पाजामा का नाड़ा खींचना बलात्कार का अपराध नहीं है, बल्कि ऐसा अपराध किसी महिला के विरुद्ध हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करने के दायरे में आता है, जिसका उद्देश्य उसे निर्वस्त्र करना या नग्न होने के लिए मजबूर करना है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने ये फैसला सुनाते हुए 2 आरोपियों पर लगी धाराएं बदल दीं.
यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने दो व्यक्तियों द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर पारित किया, जिन्होंने कासगंज के एक विशेष न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसके तहत अदालत ने उन्हें अन्य धाराओं के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के तहत भी तलब किया था।
उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि किसी महिला के स्तनों को पकड़ना और उसके पायजामे या पैंट का नाड़ा तोड़ना बलात्कार नहीं माना जाएगा।
इस फैसले पर कानूनी विशेषज्ञों, राजनेताओं और अलग-अलग क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स के विरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था।
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