कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम का साक्षी है पुराना ऐतिहासिक संसद भवन, यहां जानें अनसुनी बातें

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कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम का साक्षी है पुराना ऐतिहासिक संसद भवन, यहां जानें अनसुनी बातें
Published : May 26, 2023, 5:22 pm IST
Updated : May 26, 2023, 5:22 pm IST
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The old historic Parliament House is a witness to many important events
The old historic Parliament House is a witness to many important events

बहरहाल, नए परिसर का उद्घाटन समारोह विवादों में घिर गया है।

New Delhi: वास्तुकला का अप्रतिम उदाहरण, करीब एक सदी तक भारत की नियति को दिशा देने के प्रतीक और अब इतिहास के पन्नों में दर्ज होने जा रहे ऐतिहासिक पुराने संसद भवन का उद्धाटन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी, 1927 को किया था जिसके बाद से यह इमारत कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम की साक्षी बनी।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे और उसे राष्ट्र को समर्पित करेंगे, तो उसी के साथ पुराना संसद भवन भी देश की पवित्र विधानपालिका के स्थान के रूप में अपना 96 साल पुराना दर्जा नए भवन को सौंप देगा।

भारत के लोकतंत्र के मंदिर के तौर पर पूजा जाने वाला पुराना संसद भवन बीते करीब साढ़े नौ दशक में ब्रिटेन के साम्राज्यवादी शासन का साक्षी बना और उसके कक्षों ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे क्रांतिकारियों भगत सिंह एवं बटुकेश्वर दत्त द्वारा फेंके गए बम के धमाकों की गूंज सुनी।

इस इमारत ने देश में आजादी का सवेरा होते देखा और इसे 15 अगस्त 1947 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के ऐतिहासिक ‘ट्राइस्ट विद डेस्टिनी’ (नियति से साक्षात्कार) भाषण की गवाह बनने का भी सौभाग्य मिला। पहली मंजिल पर लाल बलुआ पत्थर के 144 स्तंभ वाला गोलाकार पुराना संसद भवन वास्तुकला का शानदार नमूना है। पुरानी इमारत का उस समय बहुत धूमधाम से उद्घाटन किया गया था जब ब्रितानी राज की नयी शाही राजधानी - नयी दिल्ली - का रायसीना हिल क्षेत्र में निर्माण किया जा रहा था।

अभिलेखीय दस्तावेजों और दुर्लभ पुरानी तस्वीरों के अनुसार, इस भव्य इमारत के उद्घाटन के लिए 18 जनवरी, 1927 को एक भव्य आयोजन किया गया था। उस समय इसे ‘काउंसिल हाउस’ के रूप में जाना जाता था।

एक सदी पहले, जब राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया अभी जारी थी और आजादी 26 साल दूर थी, तब ब्रिटेन के ‘ड्यूक ऑफ कनॉट’ ने 12 फरवरी, 1921 को संसद भवन की आधारशिला रखी थी और कहा था कि यह भवन ‘‘भारत के पुनर्जन्म के प्रतीक के रूप में’’ खड़ा रहेगा, जिसमें देश ‘‘और भी ऊंची नियति हासिल करेगा।’’

कुल 560 फुट के व्यास और एक-तिहाई मील की परिधि वाली इस इमारत को सर हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था, जिन्हें सर एडविन लुटियंस के साथ रायसीना हिल क्षेत्र में नई शाही राजधानी को डिजाइन करने के लिए चुना गया था।

‘न्यू डेल्ही - मेकिंग ऑफ ए कैपिटल’ पुस्तक के अनुसार, लॉर्ड इरविन अपनी गाड़ी में ‘ग्रेट प्लेस’ (अब विजय चौक) पहुंचे थे और फिर उन्होंने ‘‘सर हर्बर्ट बेकर द्वारा उन्हें सौंपी गई सुनहरी चाबी से ‘काउंसिल हाउस’ का दरवाजा खोला था।’’ उस समय घरेलू और विदेशी मीडिया में संसद भवन के उद्घाटन ने उसी तरह खूब सुर्खियां बटोरी थीं, जिस तरह इन दिनों नए संसद भवन की उद्घाटन से पहले मीडिया में खूब चर्चा है।

बहरहाल, नए परिसर का उद्घाटन समारोह विवादों में घिर गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिसंबर 2020 में इसकी आधारशिला रखी थी। देश के 20 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का फैसला किया है और कहा है कि उन्हें नयी इमारत का ऐसे समय में कोई औचित्य नजर नहीं आता, जब ‘‘लोकतंत्र की आत्मा को ही निकाल दिया गया है।’’

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने देश की संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किए जाने पर सवाल उठाए हैं। नए परिसर में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान कक्ष, सांसदों के लिए एक कक्ष, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और वाहन खड़े करने के लिए पर्याप्त स्थान होगा।. पुराने भवन में हुआ संसद का आखिरी सत्र अप्रैल में समाप्त हुआ बजट सत्र था।

पुराना संसद भवन इतिहास की कई अहम घटनाओं का साक्षी रहा है। इसने कई बौद्धिक बहस होती देखीं, तो दूसरी ओर यह अत्यंत शोरगुल एवं हंगामे के बीच हुई बहस का भी गवाह बना। इस संसद भवन ने कई ऐतिहासिक एवं कई विवादित विधेयकों को पारित होते देखा।.

पुराने संसद भवन की यात्रा ब्रिटेन के तत्कालीन महाराजा किंग जॉर्ज पंचम के शासन के तहत निर्मित भारत की नयी राजधानी की यात्रा भी है, जिसे उन्होंने इस भवन के उद्घाटन से एक महीने पहले 1926 मेंत नयी दिल्ली नाम दिया था।. लुटियंस और बेकर ने नई शाही राजधानी को आकार दिया, जिसमें वायसराय हाउस (अब राष्ट्रपति भवन) का निर्माण किया गया और ‘नॉर्थ ब्लॉक’ एवं ‘साउथ ब्लॉक’ को नयी दिल्ली का केंद्र बनाया गया।.

लॉर्ड इरविन ने 1927 में पुराने संसद भवन का उद्घाटन किया था। ‘सेंट्रल विस्टा’ के पुनर्विकास के तहत निर्मित नए संसद भवन के उद्घाटन के साथ ही भारत एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा।

Location: India, Delhi, New Delhi

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