उच्चतम न्यायालय ने अधिक पेंशन का विकल्प चुनने के लिए कर्मचारियों को चार महीने का वक्त भी दिया था।
New Delhi: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने अंशदाताओं को अधिक पेंशन का विकल्प चुनने के लिए तीन मई तक का वक्त दिया है। ईपीएफओ ने यह कदम उच्चतम न्यायालय के चार नवंबर, 2022 के फैसले को ध्यान में रखते हुए उठाया है। उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि एक सितंबर, 2014 की तारीख में कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के सदस्य रहे कर्मचारियों को अपना अंशदान बढ़ाकर वास्तविक वेतन का 8.33 प्रतिशत करने का अवसर मिलेगा।
उच्चतम न्यायालय ने अधिक पेंशन का विकल्प चुनने के लिए कर्मचारियों को चार महीने का वक्त भी दिया था। वह समयसीमा तीन मार्च, 2023 को खत्म होने वाली थी, लेकिन ईपीएफओ ने पिछले हफ्ते ही ईपीएस के बारे में विकल्प चुनने की प्रक्रिया शुरू की थी, लिहाजा इसकी समयसीमा बढ़ा दी गई है।
ईपीएफओ ने अपनी वेबसाइट पर कहा, ‘‘एक सितंबर, 2014 से पहले सेवा में रहे और उसके बाद भी सेवा में रहने वाले कर्मचारी अगर कर्मचारी पेंशन योजना के तहत संयुक्त विकल्प नहीं चुन पाए थे, तो वे तीन मई तक ऐसा कर सकते हैं।’’ ईपीएफओ ने कहा कि अधिक पेंशन के लिए ईपीएस में संयुक्त विकल्प चुनने की ऑनलाइन सुविधा जल्द ही लाई जाएगी।
फिलहाल कर्मचारी एवं नियोक्ता दोनों ही कर्मचारी के मूल वेतन, महंगाई भत्ते और अनुरक्षण भत्ता, अगर लागू हो, का 12 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में अंशदान करते हैं। इसमें से कर्मचारी का पूरा अंशदान ईपीएफ में चला जाता है, जबकि नियोक्ता के 12 प्रतिशत अंशदान का 3.67 प्रतिशत ईपीएफ में जाता है और बाकी 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना में जमा होता है।
भारत सरकार भी कर्मचारी की पेंशन में 1.16 प्रतिशत का अंशदान करती है। हालांकि, कर्मचारी का पेंशन योजना में कोई सीधा अंशदान नहीं होता है।
ईपीएफओ ने पिछले सप्ताह अधिक पेंशन का विकल्प चुनने की प्रक्रिया का ब्योरा जारी किया था। इसमें बताया गया था कि अंशधारक और उनके नियोक्ता संयुक्त रूप से कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के तहत अधिक पेंशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्हें इसके लिए सेवानिवृत्ति कोष संगठन के एकीकृत सदस्य पोर्टल पर आवेदन करना होगा।
नवंबर, 2022 में आए उच्चतम न्यायालय के फैसले में कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014 को बरकरार रखा गया था। इससे पहले 22 अगस्त, 2014 के ईपीएस संशोधन ने पेंशन-योग्य वेतन सीमा को 6,500 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति माह कर दिया था। इसमें अंशधारकों और उनके नियोक्ताओं को ईपीएस में उनके वास्तविक वेतन (अगर यह अधिकतम सीमा से अधिक हो) का 8.33 प्रतिशत अंशदान करने की भी अनुमति दी गई थी।
ईपीएफओ ने संयुक्त विकल्प फॉर्म के बारे में अपने फील्ड कार्यालयों को एक सर्कुलर जारी किया है। ईपीएफओ ने कहा है कि एक सुविधा दी जाएगी, जिसके लिए यूआरएल (यूनिक रिसोर्स लोकेशन) की सूचना जल्द दी जाएगी। इसके बाद क्षेत्रीय पीएफ आयुक्त नोटिस बोर्ड पर एक नोटिस और बैनर लगाकर इसकी सार्वजनिक रूप से सूचना देंगे।
इसके तहत प्रत्येक आवेदन का पंजीकरण किए जाने के साथ डिजिटल रूप से दर्ज किया जाएगा और एक रसीद संख्या भी प्रदान की जाएगी। क्षेत्रीय भविष्य निधि कोष कार्यालय के प्रभारी प्रत्येक संयुक्त विकल्प मामले की समीक्षा करेंगे। इसके बाद आवदेक को ई-मेल/डाक और बाद में एसएमएस से फैसले के बारे में जानकारी दी जाएगी।
ईपीएफओ के आदेश में कहा गया है कि ये निर्देश उच्चतम न्यायालय के चार नवंबर, 2022 के आदेश के अनुपालन में जारी किए जा रहे हैं। ईपीएफओ ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों से कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पात्र ग्राहकों को अधिक पेंशन का विकल्प प्रदान करें।
इससे पहले ईपीएफओ ने 29 दिसंबर को एक परिपत्र जारी कर कहा था कि केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को लागू करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने सभी ईपीएस सदस्यों को संशोधित योजना का विकल्प चुनने के लिए एक सितंबर, 2014 को छह महीने का समय दिया था।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में पात्र अंशदाताओं को ईपीएस-95 के तहत उच्च पेंशन का विकल्प चुनने के लिए चार महीने का और समय दिया था। अदालत ने 2014 के संशोधन में 15,000 रुपये प्रति माह से अधिक वेतन होने पर कर्मचारी की तरफ से ईपीएस में 1.16 प्रतिशत अंशदान जरूरी करने के प्रावधान को भी खत्म कर दिया था। इस तरह अंशदाता पेंशन योजना में अधिक अंशदान करने और उससे हिसाब से ज्यादा लाभ पा सकेंगे।
पात्र ग्राहकों को बढ़े हुए लाभ के लिए अपने नियोक्ता के साथ संयुक्त रूप से आवेदन करना होगा। यह आवेदन आयुक्त द्वारा निर्धारित आवेदन पत्र और संयुक्त घोषणा जैसे जरूरी दस्तावेज के रूप में किया जाएगा।