वर्तमान में बैंक ऋण के प्रावधानों में नुकसान वाले मॉडल का उपयोग करते हैं जिनमें बैंकों को धन बहुत बाद में अलग रखने की जरूरत होती है।
मुंबई : बैंकों को ऋण में नुकसान का अपना अलग मॉडल बनाने की मंजूरी मिल सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से सोमवार को भेजे गए एक प्रस्ताव के अनुसार, बैंक ऋण देने वाले धन को अलग रखने की नई प्रणाली के तहत पांच साल तक उच्च प्रावधानों को विस्तार दे सकेंगे।
आरबीआई ने सोमवार को सार्वजनिक किए गए एक दस्तावेज में कहा कि वह ऋण जोखिम का मॉडल तैयार करने से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेगा जिन पर बैंकों को विचार करना होगा।
इसके मुताबिक, ''बैंकों को प्रस्तावित सिद्धांतों के अनुरूप अनुमानित हानि प्रावधानों के उद्देश्य के लिए अपेक्षित ऋण हानि को मापने के लिए अपने मॉडल तैयार कर सकेंगे और उन्हें लागू कर सकेंगे।''
वर्तमान में बैंक ऋण के प्रावधानों में नुकसान वाले मॉडल का उपयोग करते हैं जिनमें बैंकों को धन बहुत बाद में अलग रखने की जरूरत होती है।
पिछले साल सितंबर में गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की थी कि आरबीआई बदलाव कर ऐसी नई प्रणाली अपनाने पर विचार कर रहा है, जो 'अधिक विवेकपूर्ण और भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण' वाली होगी।