यह फैसला 1 जुलाई से प्रभावी होगा।
नई दिल्ली: देश के बाहर क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना अब और महंगा हो जाएगा क्योंकि भारत सरकार ने अब अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड पर विदेश में होने वाले खर्च को लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम(Liberalized Remittance Scheme) के तहत लाने का फैसला किया है.
इसके तहत अब देश से बाहर इस्तेमाल किए जाने वाले क्रेडिट कार्ड पर 20 फीसदी टीसीएस (टैक्स कलेक्टेड ऐट सोर्स) लगाया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत कोई भी भारतीय नागरिक रिजर्व बैंक की इजाजत के बिना सालाना ढाई लाख डॉलर यानी करीब दो करोड़ रुपए विदेश में खर्च कर सकता है। डेबिट कार्ड या फॉरेक्स कार्ड के जरिए पैसे का लेन-देन या बैंक ट्रांसफर इस दायरे में आते हैं, अब क्रेडिट कार्ड से होने वाला लेनदेन भी इसमें शामिल हो गया है।
आपको बता दें कि यह फैसला 1 जुलाई से प्रभावी होगा। पर्यटन के लिए विदेश जाने वाले लोग अक्सर सीमा ($250,000) से अधिक की खरीदारी के लिए क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं क्योंकि किए गए खर्च LRC के अधीन होते हैं। लेकिन नए नियम लागू होने के बाद अब उन्हें इस पर सरकार को टैक्स देना होगा।
हालांकि, वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इसमें चिकित्सा और शिक्षा संबंधी खर्च शामिल नहीं होंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिजर्व बैंक की सलाह पर यह फैसला लिया गया है. जानकारी के मुताबिक, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में वित्त विधेयक 2023 पेश करते हुए रिजर्व बैंक से यह देखने का अनुरोध किया था कि विदेश में क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल को LRS योजना के अंतर्गत लाया जा सकता है या नहीं।
हालांकि, नियमों में बदलाव के अनुसार, अगर खरीद निवासी विदेशी मुद्रा यानी आरएफसी (निवासी विदेशी मुद्रा) में की जाती है तो यह एलआरसी के दायरे में नहीं आएगा
कहा जा रहा है कि इसके बाद क्रेडिट कार्ड कंपनियां विदेश में होने वाले हर खर्च पर 20 फीसदी टैक्स काट लेंगी, जिसे वह सरकार के पास जमा कर देंगी। यानी विदेश जाने से पहले होटल बुकिंग या कार बुकिंग, विदेशी वेबसाइट से सामान खरीदना या क्रेडिट कार्ड से विदेश यात्रा के दौरान कॉफी या नाश्ते पर खर्च, क्रेडिट कार्ड कंपनियां इन सभी ट्रांजैक्शन पर एडवांस टैक्स काट लेंगी. बाद में आप सरकार से निर्धारित सीमा के भीतर होने वाले खर्च का दावा कर सकेंगे।