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भारत मंगलवार को यहां एशियाई खेलों की ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धाओं में छह पदक जीतने में सफल रहा।
हांगझोउ : मिडिल डिस्टेंस धावक पारुल चौधरी ने शानदार दमखम का परिचय देते हुए मंगलवार को 5000 मीटर रेस में गोल्ड मेडल को अपने नाम किया. भारतीय एथलीट ने 5000 मीटर रेस में 15 मिनट 14:75 सेकेंड की समय के साथ पहला स्थान हासिल किया. वहीं अनु रानी ने वीमेंस जैवलिन थ्रो में भारत को दूसरा गोल्ड दिलाया.
अनु रानी सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ महिला भाला फेंक स्पर्धा (जैवलिन थ्रो) में शीर्ष पर रही जिससे भारत मंगलवार को यहां एशियाई खेलों की ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धाओं में छह पदक जीतने में सफल रहा।
मंगलवार को दो स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक के साथ भारत मौजूदा खेलों की एथलेटिक्स स्पर्धाओं में अब तक 22 पदक (चार स्वर्ण, 10 रजत और आठ कांस्य) जीत चुका है और इस तरह 2018 में 20 पदक के आंकड़े को पार कर चुका है। 1951 में पहले एशियाई खेलों में एथलेटिक्स में 34 पदक के बाद यह ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धाओं में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
भारत की 28 वर्षीय पारुल अंतिम लैप में जापान की रिरिका हिरोनाका से पीछे चल रही थी लेकिन अंतिम 40 मीटर में उन्हें पछाड़कर 15 मिनट 14.75 सेकेंड के समय के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
पारुल इस स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। इससे पहले सुनीता रानी (1998 में रजत और 2002 में कांस्य), ओपी जैशा (2006 में कांस्य), प्रीजा श्रीधरन (2010 में रजत) और कविता (2010 में कांस्य) एशियाई खेलों की महिला 5000 मीटर स्पर्धा में पदक जीत चुके हैं।
पारुल ने कहा, ‘‘मैंने कल (3000 मीटर स्टीपलचेज में) रजत पदक जीता और मैं थकी हुई थी इसलिए मैं केवल तीन घंटे सोई। मैं 3000 मीटर स्टीपलचेज में स्वर्ण पदक नहीं जीत सकी इसलिए मैंने सोचा कि मैं आज अंत तक टक्कर दूंगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं 2016 से राष्ट्रीय शिविर में कड़ी मेहनत और ट्रेनिंग कर रही हूं।’’ पारुल का मौजूदा एशियाई खेलों में यह दूसरा पदक है। उन्होंने सोमवार को महिला 3000 मीटर स्टीपलचेज में भी रजत पदक जीता था। स्वर्ण जीतने के बद पारुल को उम्मीद है कि उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुलिस उपाधीक्षक के रूप में नियुक्त किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे राज्य उत्तर प्रदेश की नीति है कि अगर कोई स्वर्ण पदक जीतता है तो उसे पुलिस उपाधीक्षक बनाया जाएगा। यह मेरे मन में था।’’
इसके बाद पूरे सत्र में खराब फॉर्म से जूझने वाली मेरठ की 31 साल की अनु अपने चौथे प्रयास में 62.92 मीटर के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ एशियाई खेलों की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। अनु का एशियाई खेलों का यह दूसरा पदक है। उन्होंने 2014 में कांस्य पदक जीता था।
श्रीलंका की नदीशा दिल्हान और चीन की हुइहुइ ल्यु ने क्रमश: 61.57 मीटर और 61.29 मीटर के प्रयास के साथ रजत और कांस्य पदक जीते।.
अनु ने कहा, ‘‘मैं पूरे साल कोशिश कर रही थी लेकिन अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पा रही थी। मैं उदास और दबाव महसूस कर रही थी क्योंकि सरकार ने मुझे ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजने में बहुत पैसा खर्च किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सत्र की मेरी आखिरी प्रतियोगिता थी और मैंने हार नहीं मानी। इसलिए मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने की ठान ली थी।’’ उन्होंने खुलासा किया कि कई प्रतियोगिताओं में खराब प्रदर्शन के बाद वह खेल छोड़ने की कगार पर थीं लेकिन उन्होंने खुद को एक मौका देने के लिए ऐसा नहीं करने का फैसला किया।
अनु ने कहा, ‘‘परिवार और देश की अपेक्षाएं थीं। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पा रही थी। पूरा सूत्र अच्छा नहीं रहा। बीच में मैं 54 मीटर का थ्रो भी कर रही थी और मैंने सोचा कि अगर मैं इतना बुरा कर रही हूं, तो मैं खेल छोड़ दूंगी। लेकिन मैंने खुद से कहा कि मैं इतनी जल्दी हार नहीं मानूंगी और अंत तक लड़ूंगी।''