रिंकू ने आखिरी बची 5 गेंदों पर लगातार 5 छक्के जड़ दिए और केकेआर को जीत दिला दी.
New Delhi; भारत में इन दिनों इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल का क्रेज है. आईपीएल (IPL 2023) के 16वें सीजन की धमाकेदार शुरू हो चुकी है. रविवार को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में कोलकाता नाइट राइडर्स राइडर (केकेआर) और गुजरात टाइटंस के बीच एक कड़ा मुकाबला हुआ. यह मुकाबला काफी रोमांचक रहा ,इस मुकाबले का नतीजा आखिरी गेंद पर टिका था. आखिरी ओवर में कोलकाता को 29 रन की जरूरत थी. ऐसे में रिंकू सिंह ने बल्लेबाजी से गेम की पूरी दशा बदल दी. दरहसल रिंकू ने आखिरी बची 5 गेंदों पर लगातार 5 छक्के जड़ दिए और केकेआर को जीत दिला दी.
आपको बता दें कि आईपीएल में गुजरात टाइटंस के खिलाफ आखिरी ओवर में पांच छक्के जड़कर कोलकाता नाइट राइडर्स को सनसनीखेज जीत दिलाने वाले उत्तर प्रदेश के बल्लेबाज रिंकू सिंह को कभी क्रिकेट खेलने के लिए अपने पिता से मार भी खानी पड़ी थी। बेहद गरीबी और अभाव के बीच संघर्ष कर इस मकाम तक पहुंचे रिंकू के परिवार के लिए उनकी यह उपलब्धि किसी ख्वाब के सच होने जैसी है।
रिंकू रविवार को आईपीएल में गुजरात टाइटंस के खिलाफ खेले गए मुकाबले में आखिरी पांच गेंदों पर छक्के जड़कर अपनी टीम को अप्रत्याशित जीत दिला कर चर्चा में हैं। मगर करियर में यहां तक पहुंचना उनके लिए इतना आसान नहीं था।
बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले रिंकू के पिता खानचंद रसोई गैस सिलिंडर की डिलीवरी का काम करते हैं और अब भी वह इसी पेशे से जुड़े हैं। अपने बेटे के संघर्ष को याद करते हुए वह कहते हैं कि कई बार उन्होंने क्रिकेट खेलने पर रिंकू की पिटाई भी की थी।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले खानचंद ने सोमवार को 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में कहा, "मैंने कई बार रिंकू की सिर्फ इसलिए पिटाई की कि वह क्रिकेट खेल कर अपना समय बर्बाद कर रहा था। वह ना तो पढ़ाई करता था और ना ही काम में मेरा हाथ बटाता था।" उन्होंने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह रिंकू को बल्ला दिलवा सकते। ट्रेनिंग की बात तो बहुत दूर की है।
खानचंद ने बताया कि क्रिकेट के प्रति बेटे की लगन देखकर अक्सर उनका मन भर आता था लेकिन मुफलिसी के आगे वह बेबस थे। हालांकि रिंकू की खुशकिस्मती थी कि उसे क्रिकेट कोच मसूदउज्जफर अमीनी और क्रिकेट अकादमी संचालित करने वाले अर्जुन सिंह का साथ मिला।
खानचंद कहते हैं कि इन दोनों ने रिंकू की हर तरह से मदद की और अपने करियर को संवारने के लिए उसकी खूब हौसला अफजाई भी की। आज हर तरफ उनके बेटे की कामयाबी के चर्चे हैं। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि रिंकू यहां पहुंच जाएगा। उसकी उपलब्धि किसी ख्वाब के सच होने जैसी है।
उत्तर प्रदेश की तरफ से रणजी ट्रॉफी खेलने वाले रिंकू सिंह के कोच रहे मसूदउज्जफर अमीनी को भरोसा है कि आने वाले वक्त में उनका शागिर्द भारतीय टीम के लिए खेलेगा।
रिंकू के करियर के शुरुआती दौर में उन्हें क्रिकेट का ककहरा सिखाने वाले अमीनी ने गुजरात टाइटंस के खिलाफ रविवार को खेली गई सनसनीखेज पारी का जिक्र करते हुए कहा कि रिंकू की क्षमता को देखते हुए उनसे ऐसी पारी की उम्मीद करना कोई बड़ी बात नहीं है। .
उन्होंने कहा कि और रिंकू ने जब आखिरी ओवर में शुरुआती दो छक्के मारे तभी कहीं ना कहीं उन्हें इस बात की उम्मीद जग गई थी कि उनका शागिर्द अपनी टीम को जीत दिला देगा क्योंकि वह बेहतरीन 'फिनिशर' है।
अमीनी ने कहा कि रिंकू के अंदर 'एक्स फैक्टर' है जो उसे बहुत आगे लेकर जाएगा। उम्मीद है कि वह निश्चित रूप से एक दिन भारतीय टीम के लिए खेलेगा।
उन्होंने कहा कि रिंकू आक्रामक क्रिकेट खेलने के साथ-साथ एक अच्छा टेस्ट बल्लेबाज भी बन सकतस है क्योंकि उसके अंदर खेल के प्रारूप के हिसाब से खुद को ढालने की विलक्षण क्षमता है।
पहली बार 2013 में रिंकू सिंह उत्तर प्रदेश की अंडर 16 टीम से खेले थे, इसके कुछ साल बाद उन्हें अंडर 19 टीम में भी खेलने का मौका मिला। इसके बाद देखते ही देखते उन्होंने रणजी टीम में भी अपनी जगह बना ली। 2018 में केकेआर ने रिंकू को को 80 लाख रुपये की मोटी रकम देकर अपने साथ जोड़ा। बस वहीं से उनकी तकदीर बदल गई।