प्रशांत किशोर ने कहा कि मार्च 2022 में ही दिल्ली में नीतीश कुमार मुझे बताया था कि महागठबंधन बनाने जा रहे हैं।
Patna: जन सुराज पदयात्रा के 118वें दिन की शुरुआत गोपालगंज के पंचदेवरी प्रखंड अंतर्गत खलगांव पंचायत के भगवती बाजार चौक स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। गोपालगंज प्रशांत किशोर की जन सुराज पदयात्रा का चौथा जिला है। 2 अक्तूबर 2022 को पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम से शुरू हुई पदयात्रा पश्चिम चंपारण, शिवहर और पूर्वी चंपारण होते हुए गोपालगंज पहुंची है। प्रशांत किशोर पदयात्रा के माध्यम से अबतक 1300 किमी से अधिक की दूरी तय कर चुके हैं। आज गोपालगंज में पदयात्रा का 13वां दिन है। वे जिले में लगभग 8 दिन और रुकेंगे और इस दौरान वे अलग-अलग गांवों और प्रखंडों में पदयात्रा के माध्यम से जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझ कर उनका संकलन कर उसके समाधान के लिए पंचायत आधारित ब्लू प्रिंट तैयार करेंगे, जिसे पदयात्रा खत्म होने के बाद जारी किया जाएगा।
'जन सुराज' अभियान को दल बनाने से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए प्रशांत किशोर ने मीडिया को बताया कि जन सुराज कोई तीसरा या चौथा मोर्चा नहीं बनेगा, बल्कि कोई दल अगर हमलोग बनाएंगे तो सिर्फ वही एक मोर्चा बिहार में बचेगा। हम उनमें से नहीं है जो लड़ने के लिए नहीं लड़ते हैं, बल्कि हम जीतने के लिए आए हैं। अगर जन सुराज दल बनेगा तो, बिहार की राजनीति में जन सुराज ही एक दल बचेगा। आपको एहसास नहीं की हम कितनी बड़ी व्यवस्था बना रहे हैं। अगर लोग मिलकर जन सुराज को एक राजनीतिक दल बनाएंगे तो उसे जिताने के चिंता करने की जरूरत नहीं है।
नीतीश कुमार पर एक बड़ा खुलासा करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि मार्च 2022 में ही दिल्ली में नीतीश कुमार मुझे बताया था कि महागठबंधन बनाने जा रहे हैं। उनका आंकलन था कि यदि वे भाजपा के साथ रहते हैं तो 2024 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले भाजपा उन्हें हटाकर ये कहती है अब हमारा मुख्यमंत्री होगा। इसलिए नीतीश कुमार ने 2025 तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर सुरक्षित रहने के लिए महागठबंधन के साथ चले गए।
नीतीश कुमार इसलिए तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की बात कह रहे हैं ताकि 2025 के बाद बिहार के खराब शासन व्यवस्था बने और बिहार की जनता ही कहे कि इससे बढ़िया तो नीतीश कुमार ही थे। नीतीश कुमार का जनता के प्रति ग़ुस्सा है कि उन्होंने इतना काम किया उसके बावजूद जनता ने उन्हें सिर्फ 42 सीटें दी। इसलिए नीतीश कुमार चाहते हैं कि लालू जी का जंगलराज फिर से लौट आए और जनता नीतीश कुमार को फिर इसी बहाने याद करे।
प्रशांत किशोर ने महागठबंधन पर वार करते हुए कहा कि जो महागठबंधन 2015 में हमने बनवाया था तो मैं जानता हूं कि उसे बनाने, चलाने में क्या समस्या और परेशानियां हैं। 2015 में तीन दलों का महागठबंधन था। आज 7 दलों का महागठबंधन बनाया है, और कोई भी ऐसा आदमी नहीं है जो 7 दलों के नेताओं को साथ बैठाकर बात कर सकें। नीतीश कुमार में तो वह क़ाबिलियत कभी रही ही नहीं है। पूरे महागठबंधन बनाने की प्रक्रिया में लालू- नीतीश कुमार कितनी बार मिले हैं, आप रिकॉर्ड देख लीजिए। नीतीश कुमार और लालू यादव तो साथ में बैठकर बात भी नहीं कर सकते हैं। ये लोग कैसे महागठबंधन चलाएंगे।
प्रशांत किशोर ने कहा कि रामचरितमानस या कोई धार्मिक ग्रंथों में क्या लिखा हुआ है उसका मैं विशेषज्ञ नहीं हूं। जैसे एक गीता पर 50 भाष्य लिखे गए हैं और हर आदमी उसकी अलग व्याख्या करता है। प्रशांत ने कहा कि इस विषय पर कोई राजनीति या विवाद नहीं होना चाहिए बल्कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर जी को यह बताना चाहिए कि वह बिहार के शिक्षा को कैसे सुधार रहे। जिन बच्चों के आकादमिक सत्र 3 साल के बजाय 6 सालों में पूरे हो रहे हैं, उसको कैसे सुधारा जाए। जो चंद्रशेखर कह रहे हैं ये उनका अपना एजेंडा नहीं है, बल्कि यह राजद की सोची समझी रणनीति है। राजद में उनके अलावा दूसरा कोई नेता नहीं है जो चार चौपाई भी ढंग से पढ़ सकता हो। प्रशांत ने सभी लोगों से आग्रह किया कि ऐसी बातों को बिहार में उछालिए मत, इससे किसी का भला नहीं होने वाला है।