Punjab-Haryana High Court: पुलिस सुरक्षा का स्टेटस सिंबल के रूप में प्रयोग करने पर हाई कोर्ट ने उठाए सवाल

खबरे |

खबरे |

Punjab-Haryana High Court: पुलिस सुरक्षा का स्टेटस सिंबल के रूप में प्रयोग करने पर हाई कोर्ट ने उठाए सवाल
Published : Sep 19, 2024, 6:50 pm IST
Updated : Sep 20, 2024, 5:29 pm IST
SHARE ARTICLE
Punjab-Haryana High Court: High Court raised questions on using police protection as a status symbol.
Punjab-Haryana High Court: High Court raised questions on using police protection as a status symbol.

कोर्ट  ने कहा राज्य द्वारा विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्तियों का एक वर्ग नहीं बनाया जाना चाहिए।

Punjab-Haryana High Court: पुलिस सुरक्षा का स्टेटस सिंबल के रूप में दुरुपयोग करने की निंदा करते हुए पंजाब एवं हरियाणा  हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राज्य द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा केवल वैध,  खतरों का सामना करने वाले व्यक्तियों के लिए आरक्षित होनी चाहिए, न कि किसी “विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग” को  वीआईपी दर्जा का दिखावा करने के लिए ।इस प्रथा को समाप्त करने का आह्वान करते हुए  जस्टिस मनीषा बत्रा ने कहा कि निजी व्यक्तियों को राज्य के खर्च पर सुरक्षा नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि ऐसी सुरक्षा के लिए मजबूर करने वाली परिस्थितियां आवश्यक न हों। तब भी सुरक्षा तब तक दी जानी चाहिए जब तक कि खतरा टल न जाए। जस्टिस  बत्रा ने कहा कि यदि खतरा वास्तविक नहीं है तो करदाताओं के पैसे की कीमत पर सुरक्षा प्रदान करना अनुचित होगा। 

कोर्ट  ने कहा राज्य द्वारा विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्तियों का एक वर्ग नहीं बनाया जाना चाहिए। जस्टिस बत्रा ने कहा कि सीमित सार्वजनिक संसाधनों को विवेकपूर्ण तरीके से आवंटित किया जाना चाहिए, समाज के समग्र कल्याण और सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि विशिष्ट एजेंडे वाले व्यक्तियों की व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए।  खंडपीठ ने कहा कि यह पंजाब पाकिस्तान के साथ  महत्वपूर्ण सीमा  साझा करता है। दुर्भाग्य से राज्य  नशीली दवाओं और हथियारों की तस्करी सहित अवैध गतिविधियों का सामना कर रहा है ।   ऐसे में  राज्य को अपने पुलिस बल को अपनी पूरी क्षमता से काम करने की आवश्यकता थी। 

 जस्टिस बत्रा ने जोर देकर कहा, "राज्य पुलिस की भूमिका मूल रूप से समाज में शांति, कानून और व्यवस्था बनाए रखने तथा आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। पुलिस की जिम्मेदारी व्यक्तियों को व्यक्तिगत सुरक्षा प्रदान करना नहीं है, जिसमें महत्वाकांक्षी या प्रमुख व्यक्ति भी शामिल हैं, जब तक कि उनकी सुरक्षा को कोई विश्वसनीय खतरा न हो।हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी  पटियाला निवासी व एक राजनीतिक संगठन  के कानूनी प्रकोष्ठ के प्रधान  वकील की सुरक्षा बढ़ाने की मांग को खारिज करते हुए की। हाई कोर्ट ने देखा कि   वकील  अपने वीआईपी दर्जे को दिखाने के लिए प्रतीक के रूप में सुरक्षा मांग रहा  है।हाई कोर्ट ने कहा  हथियारों से लैस  दो पुलिस अधिकारियों की  चौबीसों घंटे सुरक्षा होने के बावजूद, उसके  द्वारा कम से कम पांच बंदूकधारियों आईआरबी/कमांडो के साथ एस्कॉर्ट वाहन की मांग करने का कोई उचित कारण नहीं था। हाई कोर्ट ने कहा कि इस याचिका में कोई दम नहीं है इसलिए इसे खारिज किया जाता है।
 

SHARE ARTICLE

ROZANASPOKESMAN

Advertisement

 

ਭਾਰਤ ਦੇ 60 ਕਰੋੜ Kisana ਲਈ ਨਵਾਂ ਫੁਰਮਾਨ, ਨੀਤੀ ਅਯੋਗ ਕਿਉਂ ਕੱਢਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ Kisana ਨੂੰ ਖੇਤੀ ਤੋਂ ਬਾਹਰ?

20 Dec 2024 5:46 PM

ਜੇ ਮੋਰਚਾ ਹਾਰ ਗਏ ਤਾਂ ਮੁੜ ਕੇ ਕਿਸੇ ਨੇ ਮੋਰਚਾ ਲਗਾਉਣ ਨਹੀ- Khanauri border ਤੋ ਗਰਜਿਆ Lakha Sidhana | Appeal

19 Dec 2024 5:31 PM

जगजीत सिंह दल्लेवाल की हालत बेहद गंभीर, मंच बंद

19 Dec 2024 5:30 PM

जगजीत सिंह डल्लेवाल के पक्ष में खनौरी बॉर्डर पहुंचे मूसेवाला के पिता

19 Dec 2024 5:28 PM

ਧਾਮੀ 'ਤੇ ਕੀ ਹੋਵੇਗਾ ਸਖ਼ਤ ਐਕਸ਼ਨ, ਬੀਬੀ ਦੀ ਕਾਰਵਾਈ ਦੀ ਮੰਗ ਤੋਂ ਬਾਅਦ Raj Lali Gill ਦਾ Exclusive Interview

18 Dec 2024 5:42 PM

18 ਸਾਲ ਪੁਰਾਣੇ ਘਰੇਲੂ ਝਗੜੇ ਬਾਰੇ Jathedar ਦੇ ਵੱਡੇ ਖ਼ੁਲਾਸੇ - Bathinda Jathedar Harpreet Singh|Viral Video

18 Dec 2024 5:39 PM