Punjab and Haryana High Court: घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम को सही ढ़ग से नहीं किया जा रहा लागू

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Punjab and Haryana High Court: घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम को सही ढ़ग से नहीं किया जा रहा लागू
Published : Aug 21, 2024, 4:42 pm IST
Updated : Aug 21, 2024, 4:42 pm IST
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Punjab-Haryana High Court summoned Centre, Punjab, Haryana, Chandigarh on Protection of Women from Domestic Violence Act
Punjab-Haryana High Court summoned Centre, Punjab, Haryana, Chandigarh on Protection of Women from Domestic Violence Act

कोर्ट ने सभी पक्षों को 26 सितंबर तक इस मामले में जवाब दायर करने का आदेश दिया है।

Punjab and Haryana High Court News: घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण को लेकर दायर एक एक जनहित याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने केंद्र, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ से जवाब मांगा है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल खेतरपाल की खंडपीठ ने यह आदेश हाई कोर्ट की वकील शर्मिला शर्मा द्वारा जनहित याचिका पर जारी किया। कोर्ट ने सभी पक्षों को 26 सितंबर तक इस मामले में जवाब दायर करने का आदेश दिया है।

दायर याचिका में घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम 2005 (डीवी अधिनियम) के तहत संरक्षण आदेशों के अनिवार्य प्रवर्तन के लिए नियम बनाने या प्रविधान करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि कई मामलों में सामने आया है कि घरेलू हिंसा की पीड़िताओं को अधिनियम के तहत पारित आदेशों के क्रियान्वयन नहीं होने के कारण परेशानी हुई है। याचिका में कहा गया है कि राज्य द्वारा घरेलू हिंसा की पीड़ित महिलाओं को प्रभावी संरक्षण अधिकार सुनिश्चित करने के लिए इस अधिनियम को बनाया गया था, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से अधिनियम में अनिवार्य प्रवर्तन के लिए कोई प्रविधान नहीं किया गया है और डीवी अधिनियम के प्रविधानों के तहत पारित आदेशों को केवल आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रविधानों का सहारा लेकर लागू किया जा सकता है।

याचिका में कहा गया है कि डीवी अधिनियम की धारा 20 (6) के तहत मजिस्ट्रेट व्यक्ति पर मौद्रिक राहत आदेश के प्रवर्तन के लिए स्वयं संज्ञान ले सकता है, लेकिन ऐसे संज्ञान लेने के बहुत कम मामले हो सकते हैं। यह प्रविधान स्वरोजगार व्यक्ति होने पर पीड़िताओं के लिए किसी काम का नहीं है, क्योंकि उन्हें मौद्रिक राहत आदेश के प्रवर्तन के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 128 या भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 147 का सहारा लेना होगा।

याचिका में कहा गया है कि डीवी अधिनियम की धारा 31 संरक्षण आदेशों के उल्लंघन के लिए दंड का प्रविधान करती है, लेकिन यह प्रविधान केवल दंड के लिए है, लेकिन इसके क्रियान्वयन के लिए कोई प्रक्रिया नहीं है। कोर्ट को बताया गया कि डीवी अधिनियम के प्रविधान एक दूसरे के साथ सामंजस्य में नहीं हैं। शर्मिला ने याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के हर जिले में डीवी अधिनियम की धारा 8 के तहत संरक्षण अधिकारियों की नियुक्ति नहीं की गई है।

Tags: punjab

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