पीड़ितों ने मेयर कुलदीप कुमार से लेकर प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित को पत्र लिखकर विजिलेंस जांच की मांग की है।
Chandigarh News In Hindi: चंडीगढ़ में आए दिन लोग ऑनलाइन ठगी का शिकार होते हैं या फिर विदेश जाने के मामले में इमीग्रेशन कंपनियों द्वारा ठगे जाते है। लेकिन अब शहर में सरकारी विभागों में काम कराने के नाम पर भी सैकड़ों लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं जिसके चलते वे अपनी जमा पूंजी भी गंवा बैठे हैं।
चंडीगढ़ पुलिस सबसे आधुनिक उपकरणों से लैस है और चंडीगढ़ में अपराध को नियंत्रित करने का प्रयास करती है। जबकि उनकी नाक के नीचे रोजाना सैकड़ों लोगों को खुलेआम ठगी का शिकार बनाया जा रहा है, लेकिन पुलिस और अधिकारी बेखबर हैं।
जी हां ताजा मामले में अब चंडीगढ़ के मलोआ और उसके आसपास की कॉलोनियों के करीब 800 लोगों के साथ 6 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। इस मामले में पीड़ितों ने सचिवालय पहुंचकर प्रदर्शन किया। वहीं लोगों का आरोप है कि ठेकेदार सिमर खोरवाल निवासी झामपुर मोहाली ने चंडीगढ़ बागवानी विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर उनसे करोड़ों रुपये की ठगी की है। सभी को छह महीने के लिए काम पर रखा गया था, लेकिन केवल एक महीने का भुगतान किया गया। हंगामे के बाद पता चला कि सिमर को नगर निगम, बागवानी या अन्य किसी सरकारी विभाग से कोई टेंडर नहीं मिला था।
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इस खुलासे के बाद प्रशासक के सलाहकार राजीव वर्मा ने सेक्टर-9 स्थित यूटी सचिवालय में आपात बैठक बुलाई। इसमें नगर निगम के इंजीनियरिंग विभाग और प्रशासन के अधिकारी मौजूद थे। बैठक में सलाहकार राजीव वर्मा ने अधिकारियों से कहा कि शहर में नौकरी के नाम पर इतनी बड़ी संख्या में लोगों से ठगी की गयी है। उन्होंने कहा कि पूरे शहर में 800 लोग कर्मचारी बनकर काम करते रहे, लेकिन प्रशासन और नगर निगम को मैदानी अमले की परवाह क्यों नहीं हुई। नगर निगम की ओर से बताया गया कि जहां ये कर्मचारी काम कर रहे थे, वह नगर निगम का क्षेत्र नहीं है। बैठक के दौरान फील्ड में काम करने वाले कर्मचारियों की जियो फेंसिंग समेत अन्य निर्देश जारी किये गये।
इस संबंध में पीड़ितों ने मेयर कुलदीप कुमार से लेकर प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित को पत्र लिखकर विजिलेंस जांच की मांग की है। इस मामले में चंडीगढ़ पुलिस ने ठेकेदार और उसके साथी एजेंट के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को दो दिन के रिमांड पर लिया गया है। शुरुआती जांच में यह भी पता चला है कि आरोपी ठेकेदार ने अलग-अलग जगहों पर करोड़ों रुपये के मकान और अन्य संपत्तियां खरीदी हैं। इस मामले में कई सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है।
खैर इस मामले में लगातार जांच कार्रवाई जारी है, लेकिन ऐसे में देखना होगा की इस मामले में कब तक इन लोगों का पैसा इनको वापस मिलता है। वहीं आरोपियों पर क्या कुछ कार्रवाई की जाती है।
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