अदालत ने जांच पर रोक के लिए दी गई अर्जी पर भी नोटिस जारी किया।
New Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 'भारतपे' के सह संस्थापक अशनीर ग्रोवर और उनकी पत्नी माधुरी जैन के खिलाफ 81 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले की जांच पर इस चरण में रोक लगाने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया। मामले में यह जांच फिनटेक यूनीकॉर्न की ओर से दर्ज कराई गई उस शिकायत के आधार पर की जा रही है जिसमें ग्रोवर और उनके परिवार के सदस्यों पर अवैध भुगतान के जरिये कंपनी को 81.3 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है।
न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने जांच अधिकारी को यह भी निर्देश देने से इनकार किया कि अगर उन्हें दोनों को हिरासत में लेना हो तो पूर्व में नोटिस देना होगा। न्यायमूर्ति भंभानी ने उन्हें अंतरिम जमानत याचिका दाखिल करने को कहा।
न्यायमूर्ति ने ग्रोवर और उनकी पत्नी की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की ओर से दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। साथ ही उन्होंने जांच एजेंसी को तथा शिकायतकर्ता भारतपे को अपना रुख स्पष्ट करने को कहा। साथ ही अदालत ने जांच पर रोक के लिए दी गई अर्जी पर भी नोटिस जारी किया।
अपने आदेश में अदालत ने कहा,‘‘ मामले में जांच पर कम से कम इस चरण में रोक लगाने का कोई तुक नहीं है। जहां तक गिरफ्तारी के लिए पूर्व लिखित नोटिस की बात है, याचिकाकर्ता के पास कानून के अनुरूप उन्हें उपलब्ध अन्य उपाय अपनाने की छूट है।’’ अदालत ने कहा,‘‘ धारा 438 के तहत दाखिल कीजिए। मुझे अपनी शक्तियों का इस्तेमाल क्यों करना चाहिए जबकि वहां वैधानिक अधिकार हैं।’’
शिकायतकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा तथा डी कृष्णन पेश हुए और उन्होंने याचिका पर नोटिस जारी किए जाने का विरोध किया। भारतपे ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि ग्रोवर और उनके परिवार के सदस्यों ने अवैध भुगतान के जरिये कंपनी को 81.3 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। मामले पर अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।