कोर्ट ने कहा कि अब राज्य सरकार पिछड़े लोगों में भी अधिक जरूरतमंदों को फायदा देने के लिए सब कैटेगरी बना सकती है।
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने 6:1 के बहुमत से कहा कि एससी/एसटी कैटेगरी के भीतर ज्यादा पिछड़ों के लिए अलग कोटा दिया जा सकता है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने माना है कि एससी/एसटी आरक्षण के तहत जातियों को अलग से हिस्सा दिया जा सकता है.
कोर्ट ने कहा कि अब राज्य सरकार पिछड़े लोगों में भी अधिक जरूरतमंदों को फायदा देने के लिए सब कैटेगरी बना सकती है।
सात जजों की संविधान पीठ में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं।
दरअसल, पंजाब सरकार ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में से 50 फीसदी सीटें 'वाल्मीकि' और 'मजहबी सिखों' को देने की व्यवस्था की थी. 2004 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी.
इस फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. 2020 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि वंचितों को लाभ देना जरूरी है. दोनों पीठों के अलग-अलग फैसलों के बाद मामले को न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजा गया।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने आज 2004 के चिन्नैया मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें अनुसूचित जाति के उप-वर्गीकरण के खिलाफ फैसला सुनाया गया था।
(For More News Apart from Historic decision of Supreme Court, now SC/ST will also get quota within the quota., Stay Tuned To Rozana Spokesman)